
ठाकरे बंधु और रामदास अठावले (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Ramdas Athawale Statement: केंद्रीय मंत्री और आरपीआई (आठवले) के प्रमुख रामदास अठावले ने BMC चुनाव 2026 से पहले शिवसेना (UBT) और मनसे के संभावित गठबंधन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राज ठाकरे का शिवसेना से अलग होकर मनसे बनाना बालासाहेब ठाकरे के लिए दुखद था, क्योंकि बालासाहेब चाहते थे कि उद्धव और राज साथ मिलकर राजनीति करें।
अठावले ने कहा कि उस समय राज ठाकरे के अलग होने से बालासाहेब को गहरा आघात पहुंचा था। अब वर्षों बाद उद्धव और राज का साथ आना राजनीतिक मजबूरियों और निजी स्वार्थों का नतीजा है, न कि किसी विचारधारा का। उनके अनुसार, इस गठबंधन का महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई निर्णायक प्रभाव पड़ने वाला नहीं है।
BMC चुनाव 2026 के लिए शिवसेना (UBT) और MNS के गठबंधन पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “राज ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना छोड़ी और MNS बनाई। इससे बालासाहेब को दुख हुआ, क्योंकि वह उन्हें एक साथ देखना चाहते थे। अब उद्धव और राज ठाकरे का एक साथ आना निजी स्वार्थों की वजह से है, और इसका महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई बड़ा असर होने की संभावना नहीं है।”
#WATCH | Delhi: On Shiv Sena (UBT) & MNS alliance for BMC Elections 2026, Union Minister Ramdas Athawale says, "… Raj Thackeray left Balasaheb Thackeray’s Shiv Sena and went on to form the MNS. This hurt Balasaheb, as he had wished to see them united… Uddhav and Raj Thackeray… pic.twitter.com/yGEEFlKzCv — ANI (@ANI) December 24, 2025
उन्होंने दावा किया कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव में पहले भी महायुति के घटक दल बीजेपी, शिंदे गुट की शिवसेना, एनसीपी और आरपीआई एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में थे, इसके बावजूद सबसे ज्यादा सीटें महायुति को मिलीं। वहीं, उद्धव ठाकरे की पार्टी का प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं रहा।
रामदास अठावले ने यह भी कहा कि मुंबई में लगभग 40 प्रतिशत मराठी और 60 प्रतिशत गैर-मराठी मतदाता हैं। ऐसे में यह मान लेना गलत है कि मराठी मतदाता स्वतः ही ठाकरे गठबंधन को वोट देंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई में महायुति और कांग्रेस- दोनों को करीब 50-50 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि उद्धव-राज गठबंधन को सत्ता मिलेगी।
उन्होंने विश्वास जताया कि मुंबई का अगला महापौर महायुति का ही होगा। अठावले ने यह भी कहा कि जब तक वे बीजेपी के साथ हैं, महायुति को हराना आसान नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वे जिस गठबंधन का हिस्सा रहे हैं, उसे सत्ता मिली है -चाहे वह कांग्रेस-एनसीपी हो या बीजेपी-शिवसेना।
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रामदास अठावले ने कहा, “जब तक मैं बीजेपी के साथ हूं, महायुति को हराना इतना आसान नहीं है। जब मैं जिस पार्टी के साथ रहा उनको सत्ता मिली। जब कांग्रेस और एनसीपी के साथ रहा तो उनको महाराष्ट्र की सत्ता मिली। जब मैं बीजेपी और शिवसेना के साथ रहा तब उनको सत्ता मिली। महाराष्ट्र की राजनीति में जहां में जाता हूं उसको सत्ता मिलती है। दोनों साथ आए अच्छी बात है लेकिन दोनों को सत्ता नहीं मिलेगी। मुंबई हमारे साथ है और उद्धव-राज की शक्ति में इतनी ताकत नहीं है और इसलिए हमें फर्क नहीं पड़ेगा।”
अठावले ने कहा कि उद्धव और राज का साथ आना लोकतंत्र में गलत नहीं है, लेकिन इससे सत्ता मिलने की गारंटी नहीं होती। उनके अनुसार, मुंबई महायुति के साथ है और ठाकरे भाइयों की जोड़ी में इतनी ताकत नहीं है कि चुनावी नतीजों को बदल सके।






