सुरेखा यादव (Image- Social Media)
Mumbai News: भारतीय रेलवे की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर सुरेखा यादव इस महीने अपने 36 वर्षों की सेवा को अलविदा कहेंगी। सुरेखा यादव इंडियन रेलवे के साथ-साथ एशिया की भी पहली महिला ट्रेन ड्राइवर हैं। वह 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगी। भारतीय रेलवे में इतने वर्षों तक बतौर ड्राइवर सेवाएं देने वाली सुरेखा यादव के रिटायरमेंट की जानकारी सेंट्रल रेलवे ने दी है।
सेंट्रल रेलवे ने एक बयान में कहा, “एशिया की पहली महिला लोको पायलट श्रीमती सुरेखा यादव 36 वर्षों की उल्लेखनीय सेवा के बाद 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होंगी। उन्होंने कई बाधाओं को पार किया, अनगिनत महिलाओं को प्रेरित किया और यह दिखाया कि कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।” रेलवे ने उन्हें एक सच्ची पथप्रदर्शक बताते हुए कहा कि उनका सफर महिला सशक्तिकरण की मिसाल बना रहेगा।
यह महज एक संयोग है कि जब सुरेखा यादव रेलवे को अलविदा कहेंगी, तब देशभर में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा होगा। उनका आखिरी कार्यदिवस 30 सितंबर होगा। ऐसे में नारी शक्ति की पूजा के बीच सुरेखा का रिटायरमेंट खास महत्व रखेगा।
एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव मूल रूप से महाराष्ट्र से हैं। उनका जन्म 2 सितंबर 1965 को हुआ था। उन्होंने सतारा के सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से पढ़ाई की और आगे चलकर वोकेशनल कोर्स के बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया।
स्कूली दिनों में सुरेखा एक सामान्य लड़की की तरह टीचर बनने का सपना देखती थीं। उन्होंने बी.एड करने की योजना भी बनाई थी। मगर तकनीकी रुचि के चलते उन्होंने रेलवे के लोको पायलट पद के लिए आवेदन किया।
साल 1986 में उनकी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू सफल रहा और उन्हें कल्याण ट्रेनिंग स्कूल में सहायक चालक के रूप में नियुक्त किया गया। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 1989 में सहायक ड्राइवर के पद पर प्रमोट हुईं।
सुरेखा ने अपने करियर की शुरुआत मालगाड़ी चलाकर की थी। समय के साथ उनके ड्राइविंग कौशल में निखार आता गया। साल 2000 में उन्हें मोटर महिला के पद पर प्रमोशन मिला। 2011 में वह मेल-एक्सप्रेस की ड्राइवर बनीं। उसी साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्हें एशिया की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर होने का खिताब मिला।
उन्होंने पुणे से सीएसटी के बीच चलने वाली प्रतिष्ठित डेक्कन क्वीन जैसे चुनौतीपूर्ण रूट्स पर भी ट्रेन चलाई है। उनके पिता एक किसान थे, लेकिन सुरेखा ने अपनी मेहनत से रेलवे में एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया।
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सुरेखा आखिरी बार तब चर्चा में आईं जब मार्च 2023 में उन्होंने वंदे भारत एक्सप्रेस चलाई। वह इस सेमी-हाई स्पीड ट्रेन को चलाने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने सोलापुर से मुंबई सीएसटी तक 455 किलोमीटर की दूरी तय की थी। सुरेखा के पति महाराष्ट्र पुलिस में कार्यरत हैं।