Ambedkar brothers:महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे बंधु (सोर्सः सोशल मीडिया)
Maharashtra politics: महाराष्ट्र की राजनीति में पारिवारिक मनोमिलन का दौर तेज़ होता नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ आने तथा शरद पवार और अजीत पवार (चाचा-भतीजा) के पुनर्मिलन के बाद अब आंबेडकर बंधुओं के बीच भी मतभेद कम होने के संकेत मिले हैं। नववर्ष की पूर्व संध्या पर आनंदराज आंबेडकर के बयान के बाद दोनों भाइयों के नए साल में साथ आने की अटकलें तेज हो गई हैं।
मुंबई महानगरपालिका चुनाव की गहमागहमी के बीच आनंदराज आंबेडकर ने कहा कि आंबेडकरी आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए भविष्य में दोनों भाई एकजुट हो सकते हैं। उन्होंने ठाकरे बंधुओं का उदाहरण देते हुए कहा कि हर चीज़ का एक समय होता है। जैसे ठाकरे बंधु एकजुट हुए हैं, वैसे ही भविष्य में हम भी साथ आ सकते हैं। आनंदराज ने आगे कहा, “यदि प्रयास हुआ तो मेरी ओर से सकारात्मक प्रतिसाद जरूर दिया जाएगा।”
ठाकरे बंधुओं के एकजुट होने पर प्रतिक्रिया देते हुए आनंदराज आंबेडकर ने कहा कि इससे मुंबई में कोई बड़ा चमत्कार नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई में पिछले 25 वर्षों के शासनकाल के दौरान मराठी लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। उनके मुताबिक, इस गठबंधन से केवल अंधभक्त प्रभावित होंगे, सभी मराठी नहीं। उन्होंने कहा कि धर्म या जाति के नाम पर लोगों को बांटने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा और कोई भी योग्य व्यक्ति को महापौर बनाने की बात नहीं कर रहा है।
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आनंदराज आंबेडकर ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मौजूदा गठबंधन को लेकर भी असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि गठबंधन के तहत मांगी गई महत्वपूर्ण सीटें नहीं दी गईं, जिससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। साथ ही उन्होंने रामदास आठवले को नसीहत देते हुए कहा कि केवल सत्ता में बने रहना ही पर्याप्त नहीं है, ज़मीनी स्तर पर काम भी जरूरी है।