
डीसीएम का महायुति से मोहभंग
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति में शामिल उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और उनकी पार्टी राकां को स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान सबसे बड़ी चुनौती सहयोगी दलों से ही मिलती दिख रही है। अजीत पवार को मुख्य रूप से बीजेपी और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना की ओर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से अजीत पवार का महायुति से मोहभंग होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
इन अटकलों के बीच शनिवार को राज्य की राजनीति में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब अजीत पवार अचानक ‘नॉट रिचेबल’ हो गए। राकां अध्यक्ष अजीत पवार शनिवार को पुणे के बारामती स्थित हॉस्टल से बिना किसी पुलिस सुरक्षा, सरकारी लाव-लश्कर या काफिले के अकेले ही अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गए। निकलते समय उन्होंने केवल इतना कहा, “कोई मेरे पीछे न आए।”
बताया जा रहा है कि जब अजीत पवार बाहर निकले, उस समय उनका आधिकारिक काफिला और सुरक्षा गार्ड हॉस्टल के बाहर ही मौजूद थे। लेकिन अजीत पवार कहां और क्यों जा रहे हैं, इसकी किसी को जानकारी नहीं मिल सकी। बाद में जिस निजी गाड़ी से अजीत पवार रवाना हुए थे, वह पुणे के शिवाजीनगर स्थित उनके निवास ‘जिजाई’ बंगले के बाहर देखी गई। हालांकि बंगले के कर्मचारियों ने यह बताने से इनकार कर दिया कि अजीत पवार अंदर आए थे या नहीं। इस रहस्य के चलते राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका चुनावों को लेकर एनसीपी के दोनों गुटों अजीत पवार और शरद पवार के बीच गठबंधन की बातचीत चल रही थी। शुक्रवार को शरद पवार गुट के नेता अंकुश काकड़े, वंदना चव्हाण और विशाल तांबे ने अजीत पवार से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि अजीत पवार ने शर्त रखी थी कि सभी उम्मीदवार एनसीपी के चुनाव चिन्ह ‘घड़ी’ पर ही चुनाव लड़ें और शरद पवार गुट को केवल 35 सीटें दी जाएं। शर्तें स्वीकार न होने पर दोनों गुटों के बीच गठबंधन की बातचीत विफल हो गई।
इसके बाद शरद पवार गुट ने देर रात कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकां (एसपी) के साथ महाविकास आघाड़ी (एमवीए) नेताओं की लंबी बैठक की और पुणे में एकजुट होकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। दूसरी ओर, बातचीत विफल होने के बाद अजीत पवार बिना कुछ कहे अकेले निकल गए।
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राकां नेता सुनील तटकरे ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर लड़े जाते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी कह चुके हैं कि पुणे में अजीत पवार के साथ-साथ बीजेपी की भी मजबूत ताकत है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में साथ आने से कार्यकर्ताओं के अवसर घट सकते हैं और नाराजगी बढ़ने से विरोधियों को फायदा मिल सकता है। इसलिए चुनावी रणनीति के तहत अलग-अलग लड़ने का निर्णय लिया गया है। तटकरे ने स्पष्ट किया कि राकां एनडीए का हिस्सा है और आगे भी बनी रहेगी।






