
कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
MNS And Shiv Sena Workers Acquitted: मुंबई की एक अदालत ने वर्ष 2018 के बहुचर्चित दंगा मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और अविभाजित शिवसेना के 21 कार्यकर्ताओं को सोमवार को बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त और ठोस साक्ष्य पेश करने में असफल रहा, जिसके चलते सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया।
यह मामला छह अगस्त 2018 का है, जब गणेशोत्सव पंडालों के लिए नई ऑनलाइन अनुमति प्रणाली लागू किए जाने का विरोध किया जा रहा था। इसी विरोध के तहत ग्रांट रोड (पश्चिम) स्थित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के ‘डी’ वॉर्ड कार्यालय पर लगभग 20 से 25 राजनीतिक कार्यकर्ता एकत्र हुए थे। उस समय प्रशासन पर दबाव बनाने और व्यवस्था के खिलाफ नाराजगी जताने के लिए यह प्रदर्शन किया गया था।
पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने जबरन बीएमसी कार्यालय परिसर में प्रवेश किया था। आरोप था कि कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों को घेर लिया, कार्यालय में चल रही निर्धारित बैठक को बाधित किया, कुर्सियां फेंकीं और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। इस घटना में एक सुरक्षा गार्ड के घायल होने की भी जानकारी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज की गई थी।
घटना के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत दंगा, लोक सेवक पर हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया था। यह मामला लंबे समय तक अदालत में विचाराधीन रहा।
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम. आर. ए. शेख ने सभी तथ्यों और गवाहों के बयानों की समीक्षा के बाद आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि किसी भी गवाह ने बीएमसी कार्यालय या सरकारी संपत्ति को हुए वास्तविक नुकसान के बारे में स्पष्ट और ठोस बयान नहीं दिया। इसके अलावा, गवाहों के बयानों में महत्वपूर्ण विरोधाभास और कई त्रुटियां पाई गईं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “अभियोजन पक्ष संतोषजनक और निर्णायक साक्ष्यों के माध्यम से आरोपियों का दोष सिद्ध करने में असफल रहा है।” इसी आधार पर सभी 21 आरोपियों को मामले से बरी कर दिया गया।






