
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Hospital Night Squad: आप सभी ने कभी न कभी अनुभव किया होगा कि रात में अगर कोई बीमार हो जाता है और उसे तत्काल इलाज की जरुरत होती है तो सरकारी अस्पतालों में ले जाने पर यही सुनने को मिलता है कि यहां सुविधा नहीं है, दूसरे अस्पताल में जाएं। इस तरह की दलील देकर मरीजों को अप्रत्यक्ष रुप से इलाज नहीं देने की शिकायतें लगातार बढ़ रही है। ऐसे में गंभीर अवस्था में पहुंचे कई मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिलने पर उनकी जान तक जा सकती हैं।
ऐसी बढ़ती शिकायतों का संज्ञान में लेते हुए महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब ऐसे मरीजों के लिए ‘नाइट स्क्वाड’ मुहिम शुरू की गई है। रात के समय सड़क हादसे में घायल, हार्ट अटैक या अन्य गंभीर स्थिति वाले मरीजों को सरकारी अस्पतालों में अक्सर डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने, ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने या उपकरण बंद होने जैसी दलील देकर दूसरे अस्पतालों में भेज दिया जाता था।
तत्काल इलाज नहीं मिलने के कारण कई मरीजों की स्थिति और बिगड़ने की स्थिति पैदा हो जाती है। कुछ सरकारी अस्पताल सीधे तौर पर इलाज करने से इनकार करते भी पाए गए है। इसी तरह की जांच में दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रात के वक्त डॉक्टर के मौजूद नहीं होने का सच भी सामने आया था। इसलिए इन दोनों डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।
इमरजेंसी मरीजों को समय पर इलाज की सुविधा मिल सके इसके लिए पुणे, सोलापुर और सतारा जिले में चार-चार सहित कुल 12 विशेष ‘नाइट स्क्वाड’ टीम का गठन किया गया है। जोन स्वास्थ्य उपनिदेशक डॉ. भगवान पवार के नेतृत्व में एक स्वतंत्र निरीक्षण दल भी कार्यरत है।
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इन टीमों ने 19 नवंबर की रात से ही अचानक निरीक्षण शुरू कर दिए हैं। वे रात में सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, आपातकालीन विभाग की कार्यप्रणाली और मरीजों को स्वीकार करने की वास्तविक स्थिति की सीधे जांच कर रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में रात के निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित रहे डॉक्टरों वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को जिला स्वास्थ्य अधिकारी के जरिए नोटिस जारी किया गया है। ‘नाइट स्क्वाड’ टीम द्वारा निरीक्षण से पहले स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल प्रशासन को कोई पूर्व सूचना नहीं दी जाती है।
उपनिदेशक ने निरीक्षण दल के डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे दौरे के बाद अपनी जांच के निष्कर्षों की रिपोर्ट जमा करे। उन्हें उन सुविधाओं और संसाधनों की भी सूची बनाने को कहा गया है जिनकी आवश्यकता कार्यप्रणाली सुधारने के लिए है।
‘नाइट स्क्वाड’ मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं की जांच कर रहा है। डॉक्टर और स्टाफ की उपस्थिति है या नही। आपातकालीन विभाग का सुचारू संचालन, गंभीर मरीजों को स्वीकार करने में कुछ दिक्कतें आ रही है क्या, उपलब्ध सुविधाओं का वास्तविक उपयोग किया जा रहा है या नहीं।
किसी भी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई की जा रही है। इस मुहिम से प्रशासन में खलबली मची हुई है। विभाग को विश्वास है कि इस पहल से नाइट शिफ्ट में अनुशासन और मरीज सेवा में सुधार आएगा।
स्वास्थ्य सेवा पुणे परिमंडल के उपनिदेशक डॉ. भगवान पवार ने कहा कि सरकारी अस्पताल में आने वाले प्रत्येक मरीज को तत्काल उपचार मिलना जरुरी है। रात में इलाज से इनकार करना या स्टाफ की अनुपस्थिति एक गंभीर बात है। ‘नाइट स्ववाड’ मुहिम से इस स्थिति को सुधारने में बड़ी मदद मिलेगी।
-नवभारत लाइव के लिए पुणे से समीर सय्यद की रिपोर्ट






