राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन के साथ सहकारिता मंत्री
मुंबई: अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 और केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के स्थापना दिवस के अवसर पर सोमवार को राजभवन में महाराष्ट्र सरकार के सहकारिता, विपणन और कपड़ा विभाग की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने आव्हान करते हुए कहा कि जिस तरह गुजरात राज्य ने दूध उत्पादन में सहकारिता के माध्यम से ‘अमूल’, दिल्ली ने ‘मदर डेयरी’ और कर्नाटक ने ‘नंदिनी’ ब्रांड बनाया, उसी तरह महाराष्ट्र को भी सहकारिता के माध्यम से दूध का एक साझा ब्रांड बनाना चाहिए।
हम की भावना से होता है विकास
राज्यपाल राधाकृष्णन ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनाना है तो विकास समावेशी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास समावेशी तभी होगा जब सहकारिता सफल होगी। सहकारिता आंदोलन के माध्यम से नेतृत्व का निर्माण होना चाहिए। सहकारिता आंदोलन ने महाराष्ट्र को गहरा राजनीतिक नेतृत्व दिया है। मैं की सोच से सहकारिता क्षेत्र का विस्तार नहीं किया जा सकता, बल्कि हम की भावना से सहकारिता क्षेत्र के लिए काम करना चाहिए।सहकारिता क्षेत्र में शिक्षित और प्रशिक्षित लोगों को लाना आवश्यक है। इस संबंध में राज्यपाल ने कहा कि राज्य में जिस क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन मजबूत है, वहां के विश्वविद्यालयों में सहकारिता पर डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
सिक्किम का दिया उदाहरण
राज्यपाल ने सिक्किम का उदाहरण देते हुए कहा कि सिक्किम पूर्ण जैविक खेती करने वाला राज्य बन गया है। आज जैविक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सहकारिता सिद्धांत के माध्यम से तालुकावार आधार पर जैविक खेती को बढ़ावा देने पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती किसानों पर थोपी नहीं जा सकती, बल्कि किसानों का आंदोलन बनना चाहिए।
सहकारी चीनी मिलें आधुनिकीकरण के बिना जीवित नहीं
राज्यपाल ने सहकारी चीनी मिलों के आधुनिकीकरण की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि सहकारी चीनी मिलें आधुनिकीकरण के बिना जीवित नहीं रहेंगी। कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल, कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, सहकारिता और गृह राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर, राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवरे, सहकारिता आयुक्त दीपक टावरे, सहकारिता विभाग के संयुक्त सचिव संतोष पाटिल और सहकारिता विभाग के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।