
अजनबी को लिफ्ट दी, चिकन खिलाया, शराब पिलाई...फिर कार में जिंदा जलाया, लातूर में हिला देने वाली घटना
Maharashtra Crime News: महाराष्ट्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक निजी वित्तीय कंपनी के जिला प्रमुख गणेश चव्हाण (35) ने ऐसा अपराध किया, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया। उसने लातूर में एक नशे में धुत व्यक्ति को अपनी कार में बैठाया, कार को अंदर से लॉक किया और फिर उसे जिंदा जला दिया। न तो वह उस व्यक्ति को जानता था और न ही उससे उसकी कोई दुश्मनी थी। यह पूरी वारदात इस तरह रची गई थी कि लोगों को लगे कि गणेश चव्हाण की ही कार में जलकर मौत हो गई है। इस साजिश के पीछे मकसद था कि बीमा की रकम उसके परिवार को मिल जाए और उसकी सारी देनदारियां खत्म हो जाएं। हालांकि, वारदात के 24 घंटे के भीतर ही लातूर पुलिस ने तकनीकी जांच और एक महिला से जुड़े सुरागों के आधार पर आरोपी को पकड़कर गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधीक्षक अमोल तांबे ने बताया कि आरोपी गंभीर आर्थिक संकट में था। उसने मुंबई और लातूर में फ्लैट खरीदने के लिए कुल 97 लाख रुपये का कर्ज ले रखा था। तांबे के अनुसार, उसकी पत्नी और उसके साथ संबंध में रहने वाली महिला के भारी निजी खर्चों से आर्थिक दबाव और बढ़ गया था। उसे भरोसा था कि अगर उसे मृत घोषित कर दिया गया, तो 1 करोड़ रुपये की जीवन बीमा राशि से सारे कर्ज चुकाए जा सकेंगे। इसी सोच ने उसे इस बेरहमी भरे अपराध की ओर धकेल दिया।
रविवार रात करीब 12:30 बजे औसा-वनवाड़ा रोड पर एक कार में आग लगने की सूचना डायल 112 पर मिली। दमकल विभाग ने आग पर काबू पाया, जिसके बाद पुलिस को कार के अंदर एक जला हुआ मानव कंकाल मिला। शुरुआत में इसे दुर्घटनावश मौत माना गया और पहचान के लिए डीएनए सैंपल सुरक्षित किए गए।
कार एक रिश्तेदार के नाम पर रजिस्टर्ड थी, लेकिन उसका नियमित इस्तेमाल गणेश चव्हाण ही करता था। संपर्क करने पर उसकी पत्नी ने पुलिस को बताया कि वह शनिवार रात करीब 10 बजे एक दोस्त को लैपटॉप देने के बहाने घर से निकला था और वापस नहीं लौटा। बाद में रिश्तेदारों ने अवशेषों में से एक धातु का कड़ा पहचानकर यह मान लिया कि शव चव्हाण का ही है। पुलिस ने इस शर्त पर शव परिजनों को सौंपने पर सहमति दी कि अंतिम संस्कार के बजाय दफनाया जाएगा।
हालांकि, जांच के दौरान सामने आई कुछ गड़बड़ियों से पुलिस को शक हुआ कि गणेश चव्हाण जीवित हो सकता है। कंकाल का पोस्टमॉर्टम मौके पर ही किया गया। स्थानीय अपराध शाखा के निरीक्षक सुधाकर बावकर ने बताया कि पूछताछ में चव्हाण ने कबूल किया कि मृतक 50 वर्षीय गोविंद यादव था, जो शराब के नशे में था। यादव ने उससे लिफ्ट मांगी थी। आरोपी ने उसे कार में बैठाया और एक ढाबे पर रुककर चिकन व थोड़ी और शराब खरीदी। वनवाड़ा रोड की सुनसान जगह की ओर गाड़ी बढ़ाते हुए यादव कार में ही खाना खाकर सो गया।
पुलिस के मुताबिक, चव्हाण ने यादव को घसीटकर ड्राइवर सीट पर बैठाया, सीट बेल्ट बांधी और सीट पर माचिस की तीलियां व प्लास्टिक की थैलियां रखीं। इसके बाद उसने कार के अंदर पेट्रोल डाला, ईंधन टैंक का ढक्कन खुला छोड़ा, बाहर भी पेट्रोल छिड़का और कार में आग लगा दी। फिर वह पैदल ही मौके से फरार हो गया।
उप-मंडल पुलिस अधिकारी कुमार चौधरी ने बताया कि सबूतों से साफ है कि जब आग लगाई गई, तब पीड़ित जिंदा था। नशे की हालत में होने के कारण वह विरोध भी नहीं कर सका। उसे ड्राइवर सीट पर बैठाने का मकसद यही था कि उसकी मौत को आरोपी की मौत के रूप में दिखाया जा सके।
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घटना के बाद चव्हाण पहले कोल्हापुर और फिर सिंधुदुर्ग जिले के विजयदुर्ग भाग गया। संदेह गहराने पर स्थानीय अपराध शाखा ने जांच संभाली। इंस्पेक्टर सुधाकर बावकर ने बताया कि मोबाइल फोन डेटा, यात्रा रिकॉर्ड और वित्तीय लेन-देन की जांच से उसकी साजिश उजागर हुई। आरोपी के गर्लफ्रेंड की निगरानी से सोमवार को सिंधुदुर्ग में उसका ठिकाना पता चला। औसा थाने के इंस्पेक्टर आर.के. दंबाले ने बताया कि चव्हाण ने बीमा क्लेम के लिए हत्या या आत्महत्या की योजना बनाने की बात कबूल की है। फिलहाल फोरेंसिक जांच जारी है।






