उद्योगपतियों का कर्ज़ माफ़ करते हैं, तो किसानों का क्यों नहीं? (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Jalgaon: सरकार उद्योगपतियों के हज़ारों करोड़ रुपये के कर्ज़ माफ़ कर रही है, लेकिन किसानों की कर्ज़ माफ़ी को पैसे का जामा पहना रही है। छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में किसान खुशहाल थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया है, ऐसा किसान नेता प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष बच्चू कडू ने सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा।
तालुका के फेरन जलगांव में जिला अध्यक्ष सुधाकर शिंदे के नेतृत्व में श्रमिकों, ग्राम पंचायत कर्मचारियों, मछुआरों, विकलांगों, खेतिहर मजदूरों, बेघरों और किसानों के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी। इस अवसर पर बच्चू कडू बोल रहे थे।
चूँकि खेतों में मेहनत कर रहे किसानों की रक्षा करने वाला कोई नहीं है, एक तरफ़ अन्य वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ किसानों की किसी भी फसल का कोई दाम नहीं मिल रहा है। सोयाबीन हो या कपास, उन्हें औने-पौने दामों पर ख़रीदा जा रहा है। इसलिए, किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नज़र नहीं आ रहा है। इसलिए, यह किसानों की लड़ाई है, किसी धर्म या जाति की लड़ाई नहीं।
इसलिए, अब समय आ गया है कि सभी लोग जाति-धर्म को छोड़कर किसानों की लड़ाई में शामिल हों, उन्होंने कहा। इस बैठक में जिले के किसान, मछुआरे, श्रमिक, खेतिहर मजदूर, ग्राम पंचायत कर्मचारी और दिव्यांगजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का परिचय सुधाकर शिंदे ने दिया।
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सरकार आपको जाति और धर्म के नाम पर उलझाकर उद्योगपतियों के घर भरने की कोशिश कर रही है। अब उन्हें उनकी जगह दिखाने का समय आ गया है। इसलिए सभी से अपील है कि 28 अक्टूबर को नागपुर में होने वाले मार्च में भारी संख्या में शामिल हों।