रोजगार गारंटी योजना के काम तुरंत शुरू करें (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia Rural Workers Crisis: एक तरफ महाराष्ट्र सरकार ग्रामीण मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने तथा साल में 100 दिन का काम देने का लक्ष्य घोषित करती है, लेकिन दूसरी तरफ पिछले एक वर्ष से सरकारी परिपत्र के माध्यम से कई कामों को मंजूरी मिलने के बावजूद महाराष्ट्र ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्य बंद पड़े हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरों का आरोप है कि शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधि उनसे काम छीनने का काम कर रहे हैं।
इस योजना के अंतर्गत तालाब गहरीकरण, बांध, तालाब निर्माण, सड़क व रास्ते निर्माण, बाड़-बंदी, दीवार, टॉयलेट लेवलिंग, वृक्षारोपण, ग्राम पंचायत भवन, आंगनवाड़ी इमारत तथा अन्य पंचायत स्तर के अनेक कार्य पूरी तरह ठप हैं। काम बंद होने के कारण मजदूरों को रोज़गार न मिलने से घर चलाना मुश्किल हो गया है। मजदूरों ने शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि महाराष्ट्र ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मंजूर सभी कार्य तुरंत शुरू किए जाएं।
गोंदिया जिला महाराष्ट्र का सबसे अधिक आदिवासी बाहुल्य जिला है और भौगोलिक रूप से अंतिम छोर पर स्थित है। यहां मुख्य रूप से धान की खेती होती है। लेकिन इस वर्ष खरीफ सीजन में बेमौसम एवं भारी बारिश के कारण धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
किसानों की दिवाली अंधेरे में बीत गई और उनकी आय लगभग खत्म हो गई। मजदूरों और किसानों की मांग है कि रोज़गार गारंटी योजना के काम तुरंत शुरू किए जाएं ताकि उनके सामने दो-वक्त की रोटी का संकट दूर हो सके। कई ग्राम पंचायतों को मंजूरी मिलने के बावजूद ब्लैक-लिस्ट कर दिया गया है और मस्टर जारी नहीं किए जा रहे, जिसके कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
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ग्राम पंचायत सोनपुरी सरपंच अरुणकुमार मच्छिरके ने कहा कि जब इस मामले में जानकारी मांगी गई, तो पता चला कि शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण पिछले एक वर्ष से नरेगा और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कई मंजूर कार्य तहसील और जिला स्तर पर प्रलंबित पड़े हैं।
सरकार भले ही 100 दिन रोजगार देने की घोषणा करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर एक साल से कोई काम प्रारंभ नहीं हुआ है। इसलिए मजदूरों की मांग है कि रोजगार गारंटी योजना के कार्य तुरंत शुरू किए जाएं और मजदूरों को तत्काल काम उपलब्ध कराया जाए।