गोविंदटोला जिला परिषद स्कूल को ताड़पत्री का सहारा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: एक तरफ शिक्षा विभाग जिला परिषद शालाओं में विद्यार्थी संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, तो दूसरी ओर शालाओं की इमारतों की दुर्दशा पर वह पूरी तरह मौन है। इसका जीता-जागता उदाहरण तिरोड़ा तहसील के मंगेझरी ग्राम पंचायत अंतर्गत गोविंदटोला की जिला परिषद प्राथमिक शाला है। यहां इमारत की छत जीर्ण-शीर्ण होने से पानी टपकने लगा है। हालात इतने बिगड़ गए हैं, कि बरसात में पानी टपकने से विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए ग्रामवासियों और शाला प्रबंधन समिति को कक्षाओं पर ताड़पत्री डालनी पड़ी है। यही ताड़पत्री अब बच्चों की शिक्षा का आधार बन गई है।
गोविंदटोला आदिवासी बहुल गांव है। यहां पहली से चौथीं तक की प्राथमिक शाला संचालित है। वर्तमान में यहां 19 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। महिला प्रधानाध्यापिका अकेले ही पूरी शाला की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। लेकिन शिक्षा विभाग की उपेक्षा के कारण यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। ग्राम पंचायत ने शाला परिसर में बोरवेल खुदवाया जरूर है, परंतु उस पर आज तक हैंडपंप नहीं लगाया गया। शाला में आरओ मशीन है, लेकिन नल कनेक्शन नहीं होने के कारण वह धूल खा रही है। परिणामस्वरूप विद्यार्थियों को रोजाना पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
शाला की इमारत पूरी तरह जीर्ण अवस्था में है। दरवाजे और खिड़कियां टूटी हुई हैं। बरसात में छत से पानी टपकता है, जिससे विद्यार्थी गीली कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होते हैं। इस स्थिति में नागरिकों ने पहल कर कक्षाओं पर ताड़पत्री डाली। अब उसी ताड़पत्री के नीचे बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। शाला प्रबंधन समिति व ग्रामीणों ने कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और जिला परिषद के शिक्षा विभाग को पत्र व्यवहार कर स्थिति बताई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
उल्लेखनीय है कि गोविंदटोला गढ़चिरोली-चिमूर क्षेत्र के सांसद नामदेवराव किरसान का पैतृक गांव है। भले ही यह गांव उनके वर्तमान संसदीय क्षेत्र में न आता हो, लेकिन अपने गांव के विकास के लिए वे अपने ही पार्टी के सांसद डा. प्रशांत पडोले से समन्वय साधकर पहल कर सकते हैं। ग्रामीणों की अपेक्षा है कि पैतृक गांव की समस्याओं पर वे गंभीरता से ध्यान दें और शाला सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास सुनिश्चित करें।
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ग्रामीणों का कहना है कि विद्यार्थियों का भविष्य ताड़पत्री के सहारे नहीं बल्कि सुदृढ़ इमारत में संवरना चाहिए। बच्चों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत ध्यान देकर शाला की इमारत की मरम्मत करानी चाहिए और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।