कार्यालय में खाली कुर्सियां (फोटो नवभारत)
Gondia News In Hindi: शासन ने आदेश जारी किया था कि शासकीय व गैर शासकीय कर्मचारियों को मुख्यालय में उपस्थित रहना चाहिए। लेकिन इस आदेश का गोंदिया में व्यापक रूप से उल्लंघन किया जा रहा है और इसमें डाॅक्टर, शिक्षक, ग्राम सेवक, पटवारी व अन्य विभाग के कर्मचारियों का समावेश है। ये कर्मचारी मुख्यालय में नहीं रहते हैं, जिससे तहसील में जरुरतमंद लोगों के कार्य बाधित हो रहे हैं।
गांव के संबंधित अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालय पर ही रहें, इसके लिए शासन उन्हें विभिन्न सुविधाएं प्रदान करती है और उन्हें मुख्यालय में रहने का भत्ता भी देती है। इसके बावजूद शासकीय कर्मचारी शासन के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी मर्जी से चल रहे हैं। जिससे अनेक कार्यालयों में कर्मचारियों की लेटलतीफी से कार्य बाधित हो रहे हैं।
प्रशासन ने कर्मचारियों को 15 प्रतिशत प्रोत्साहन भत्ता और एक स्तर का प्रमोशन लागू किया है। इसका लाभ लेने वाले 80 प्रतिशत लाभार्थी कर्मचारी हैं। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपने विभिन्न कार्यों के लिए मानसिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
तहसील कार्यालय, पंचायत समिति, जिप बांधकाम उप विभाग, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, पशु चिकित्सालय, ग्रामीण अस्पताल, कृषि विभाग, भूमि-अभिलेख, उप कोषागार कार्यालय, जल संधारण विभाग, ग्रापं व पटवारी कार्यालय के कर्मचारी मुख्यालय में नहीं रह रहे हैं और उनका अप-डाउन का सिलसिला जारी है।
इसलिए सप्ताह के शुक्रवार को अधिकारी व कर्मचारी दोपहर में अपने गृहनगर के लिए रवाना हो जाते हैं। जिससे अनेक कार्यालयों में कुर्सी व टेबलों पर विरानी छायी रहती है। शासन ने कर्मचारियों को मुख्यालय में रहने के लिए आदेश जारी किया था।श्
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गोंदिया तहसील में प्रत्येक विभाग के कुछ अधीनस्थ कर्मचारी मुख्यालय में रहते हैं। शासकीय नियमों के अनुसार सभी कर्मचारियों को 8 किमी से ज्यादा की दूरी से आने-जाने की मनाई है। लेकिन जिले व तहसील स्थान से लेकर हर विभाग के कर्मचारी अप-डाउन करते हैं।
कई कर्मचारी दौरे के नाम पर एक सप्ताह तक कार्यालय में उपस्थित नहीं होते हैं। इसका असर विकास कार्यों के साथ-साथ किसानों के काम पर भी पड़ रहा है। इस ओर कोई वरिष्ठ अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है, कर्मचारी मुख्यालय पर नहीं रहते हैं। लेकिन मुख्यालय में रहने के नाम पर किराया भी वसूला जाता है। इस बारे में स्टाफ से पूछें जाने पर बताया गया कि यह हमारे बच्चों की पढ़ाई का सवाल है, इसलिए हम अप-डाउन करते है।
कुछ कर्मचारी तहसील को अपना मुख्यालय मानते हैं। ग्राम सेवक और शिक्षक पंचायत समिति को अपना मुख्यालय मानते हैं। इसलिए आम नागरिक मुख्यालय का सही अर्थ नहीं समझ पाते हैं। तहसील का प्रत्येक नागरिक किसी न किसी सरकारी कार्यालय से जुड़ा होता है। हालांकि कार्यालय पहुंचने के बाद साफ देखा जा रहा है कि किसानों सहित आम लोगों को परेशानी हो रही है।