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आमगांव. महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन महामंडल की कई बसों में प्राथमिक उपचार किट नहीं है. कुछ बसों में डिब्बे हैं, लेकिन वे खराब स्थिति में हैं. साथ ही बड़ी संख्या में कबाड़ में भेजे जाने की बजाए सड़क पर उतारी जा रही बसों के कारण यात्रियों को बेवजह परेशानी का सामना करना पड़ता है.
यात्रियों को राज्य सड़क परिवहन महामंडल द्वारा ‘गांव वहां रास्ता व रास्ता वहां एसटी’ के आदर्श वाक्य के तहत सेवा दी जाती रही है. कई यात्री महामंडल की बस से यात्रा करना पसंद करते हैं, क्योंकि एसटी यात्रा सुरक्षित है. जिले के ग्रामीण अंचलों में गोंदिया डिपो से चलने वाली बसें ज्यादातर कबाड़ हो गई हैं. बस दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों के तत्काल उपचार के लिए प्रत्येक बस में प्राथमिक चिकित्सा किट होती है.
यह फर्स्ट एड बॉक्स वाहन चालक के केबिन में होता है, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश बसों में प्राथमिक उपचार किट नहीं है. कुछ बसों में बॉक्स होते हैं, लेकिन वह खाली पड़ा होता है. इस सुविधा पर एसटी महामंडल के वरिष्ठ अधिकारी, वाहक, डिपो कर्मचारियों का ध्यान नहीं हैं, एसटी महामंडल को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. वहीं दूसरी ओर कबाड़ बसों की संख्या भी अधिक होती दिख रही है. इस कारण कई बसें सड़क के बीच में ही रुक जाती हैं. इसलिए यात्रियों को बेवजह परेशानी उठानी पड़ रही है.






