सरकारी सर्वे में किसानों के साथ अन्याय! (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: बेमौसम बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। इसके बाद सरकार ने नुकसान का पंचनामा करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन किसानों का आरोप है कि अधिकारी और कर्मचारी अपनी मनमर्जी से रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इस लापरवाही के कारण पहले से परेशान किसान सरकारी सहायता से वंचित रह सकते हैं।
सालेकसा तहसील राज्य के पूर्वी छोर पर स्थित है। यहां की अधिकांश कृषि वर्षा पर निर्भर है और खेती ही लोगों की आजीविका तथा आर्थिक आधार का प्रमुख स्रोत है। यह क्षेत्र मुख्यतः आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित है। कई गांवों तक अभी तक विकास योजनाएं नहीं पहुंच पाई हैं। खेती ही मुख्य व्यवसाय होने के कारण किसान सालभर कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन अंत में उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता।
दिवाली के बाद किसानों ने धान की कटाई शुरू की थी, लेकिन 22 अक्टूबर से हो रही बेमौसम बारिश ने सब कुछ बिगाड़ दिया। खेतों में पानी जमा हो गया है और नमी के कारण कटे हुए धान के दाने अंकुरित हो गए हैं। वहीं, बचे हुए धान के गिरने से भी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। प्रशासन ने नुकसान का पंचनामा शुरू कर दिया है, लेकिन किसानों का आरोप है कि सर्वे में वास्तविक नुकसान को दर्ज नहीं किया जा रहा है। इससे उन्हें मुआवजे से वंचित रह जाने की आशंका है।
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किसानों ने कर्ज माफी के लिए राज्यव्यापी आंदोलन किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल से भेंट कर मई तक कर्ज माफ करने का आश्वासन दिया था। वहीं, बैंक 31 मार्च तक कर्ज वसूली की प्रक्रिया पूरी करेंगे। ऐसे में किसानों का सवाल है कि जब सरकार पहले ही कर्ज वसूल लेगी, तो बाद में किसका कर्ज माफ किया जाएगा? राजू दोनोडे, तहसील अध्यक्ष (कांग्रेस पार्टी) ने मांग की है कि सरकार को सहकारिता विभाग का वित्तीय वर्ष जून तक बढ़ाना चाहिए, ताकि किसानों को राहत मिल सके।