बंजारा को ST में शामिल न किया जाए (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia District: हैदराबाद गजट लागू करके बंजारा समाज को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) में शामिल करने की बंजारा जाति की मांग असंवैधानिक है और आदिवासी समुदाय इसका तीव्र विरोध करता है। सभी सकल आदिवासी समाज संगठन ने 6 अक्टूबर को गोंदिया जिले में विशाल मोर्चा व रैली के माध्यम से सड़क पर उतरकर इसका विरोध करने का फैसला लिया है। एक चर्चा में ऑल इंडिया आदिवासी हलबा-हलबी समाज संगठन के अध्यक्ष यशवंत मलये ने आरोप लगाया है। विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि बंजारा समाज को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का प्रयास पूरी तरह अनुचित है।
उन्होंने तर्क दिया है कि हैदराबाद गजट सन 1884, 1909, 1920 तीन प्रकार का है, इसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि बंजारा समाज यह अनुसूचित जनजाति है, तथा यह समाज पहले से ही प्रश। आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। जबकी अनुसूचित जनजाति में 45 जातियों का समावेश किया गया है तथा उन्हें 6 प्रश। आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। यह कदम मूल आदिवासी समाज के साथ अन्याय होगा और उनकी पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं, अधिकारों तथा संवैधानिक सुविधाओं पर सीधा असर डालेगा।
आरोप लगाया गया कि अजजा में कहीं भी बंजारा समाज का उल्लेख नहीं है। तथा कुछ समूह केवल राजनीतिक दबाव और वोट बैंक की राजनीति के आधार पर एस।टी। आदिवासी की श्रेणी में शामिल होना चाहते हैं। अजजा की सूची में किसी भी नए वर्ग को जोड़ने से पहले गहन अध्ययन, तथ्यात्मक जांच और ऐतिहासिक प्रमाणों का संकलन जरूरी है। बंजारा और धनगर जाति आदिवासियों के लिए निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करती है इसलिए इन जातियों को शामिल नहीं किया जा सकता। भारतीय संविधान और उसके प्रावधानों के अनुसार बंजारा जाति को आदिवासियों में शामिल करने की मांग असंवैधानिक है।
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प्रतिनिधियों ने शासन-प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होंगे। तथा आने वाले दिनों में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। चर्चा के दौरान आदिवासी हलबा-हलबी समाज कर्मचारी महासंघ जिला उपाध्यक्ष झनकराम बोधीराम नायक व समाज के अनेक लोग उपस्थित थे। यह भी तर्क किया गया कि समाज के विभिन्न संगठनों को एकजुट कर इस मुद्दे पर व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।