
सिकल सेल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Sickle cell control week: राष्ट्रीय सिकलसेल उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में 11 दिसंबर से 17 दिसंबर तक सिकलसेल नियंत्रण सप्ताह मनाया जा रहा है। इस अभियान में नियमित तथा विशेष रूप से गांव-स्तर, स्कूल-स्तर और अन्य स्तरों पर लाभार्थियों की सिकलसेल बीमारी की जांच की जा रही है। वर्तमान में जिले में 43,276 सिकलसेल वाहक और 2,997 सिकलसेल पीड़ित मरीज हैं।
पीड़ित मरीजों में आने वाले सिकल सेल क्राइसिस, तीव्र रक्ताल्पता तथा आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षणों के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार फॉलो-अप कर रहा है। सिकल सेल पीड़ितों में क्राइसिस न हो और बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए सभी मरीजों को हाइड्रोक्सीयूरिया दवा शुरू करने का लक्ष्य है।
वर्तमान में जिले के 2,447 मरीजों को यह दवा दी जा रही है, जिससे उनके स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, जिले में सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसूती के दौरान सिकलसेल जांच की जा रही है। यदि कोई महिला वाहक या मरीज पाई जाती है तो उसके पति की भी जांच की जाती है।
ताकि 12 सप्ताह के भीतर गर्भजल जांच की जा सके और होने वाले शिशु में सिकलसेल रोग की संभावना का पता लगे। आवश्यकता पड़ने पर दंपतियों को चिकित्सकीय परामर्श देकर गर्भपात भी कराया जा रहा है। इस कार्य में संकल्प फाउंडेशन और क्रिसना डायग्नोस्टिक्स सहयोग कर रहे हैं।
अक्टूबर 2018 से जिले में 19,471 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई है। 75 दंपति दोनों वाहक पाए गए। इन सभी 75 महिलाओं की गर्भजल जांच की गई, जिनमें से 12 मामलों में गर्भस्थ शिशु सिकलसेल पीड़ित होने की संभावना पाई गई। इन 12 दंपतियों ने चिकित्सकीय सलाह के अनुसार गर्भपात कराया।
शासन निर्देशानुसार सभी नवजात शिशुओं की जन्म के 72 घंटे के भीतर सिकल सेल जांच की जा रही है। यह जांच हिंद लैब के माध्यम से सभी स्वास्थ्य संस्थानों में शुरू है। वर्ष 2023 से अब तक 18,023 नवजात बच्चों की जांच की जा चुकी है। आने वाले समय में सभी नवजातों की यह जांच अनिवार्य रूप से की जाएगी, ऐसी जानकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुहास गाडे ने दी।
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सिकलसेल बीमारी आगे की पीढ़ी तक न फैले, इसके लिए विवाह पूर्व सिकलसेल जांच पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मचारी प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में समुपदेशन कर रहे हैं। ताकि वाहक व्यक्तियों के बीच विवाह रोका जा सके। उपकेंद्र स्तर पर पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बनाए गए हैं, जो मरीजों की दवा, जांच व परामर्श के लिए नियमित फॉलो-अप कर रहे हैं।
जिला स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि नए सिकल सेल मरीज न बढ़े और मौजूदा मरीजों को नियमित स्वास्थ्य सेवा समय पर मिले। यह संपूर्ण कार्यक्रम संचालित करने और निगरानी के लिए PATH संस्था स्वास्थ्य विभाग के साथ कार्यरत है, ऐसी जानकारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रताप शिंदे ने दी।






