
सुप्रीम कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra Local Body Elections 50% Reservation Dispute: महाराष्ट्र में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव प्रचार में अब सिर्फ 3 दिन शेष हैं, ऐसे में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण वाली नप में चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की चिंता बढ़ गई है। गड़चिरोली जिला भी इसी विवादित दायरे में आता है।
तेलंगाना में स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण के कारण अदालत द्वारा रद्द किए जा चुके हैं। यदि महाराष्ट्र में भी वही सिद्धांत लागू होता है तो यहां की चल रही चुनाव प्रक्रिया रद्द हो सकती है। ऐसी स्थिति में या तो आरक्षण बदलकर पुनः चुनाव कराए जा सकते हैं, या अतिरिक्त आरक्षित सीटों पर चुनाव स्थगित रखते हुए आंशिक मतदान की व्यवस्था अपनाई जा सकती है।
यदि मतदान से ठीक पहले चुनाव रद्द होते हैं तो उम्मीदवारों के लिए यह बड़ा झटका होगा, खासकर उन नगराध्यक्ष पद के दावेदारों के लिए जिन्होंने प्रचार पर लाखों रुपये खर्च किए हैं। लगातार चल रही अनिश्चितता उनके लिए गंभीर संकट बनकर उभर रही है।
स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण लागू होने के कारण, इन चुनावों को स्थगित किया जाए। इस मांग को लेकर एक याचिका न्यायालय में दायर की गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 25 नवंबर को सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन अब यह सुनवाई शुक्रवार को होगी।
इधर, नगरपालिका चुनाव में मैदान में उतरे उम्मीदवारों में अदालत के निर्णय को लेकर गहरी चिंता देखी जा रही है। कई जगहों पर अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों ने अपना प्रचार रोक दिया है और अतिरिक्त खर्च से बचने की कोशिश कर रहे हैं। यह बात राजनीतिक हलकों में प्रमुखता से चर्चा में है।
नामांकन दाखिल करने के बाद जो उम्मीदवार पूरे जोश से चुनाव प्रचार में जुटे थे, वे अब आरक्षण संबंधी अदालत के फैसले पर निगाहें टिकाए हुए हैं। न्यायालय का यह निर्णय चुनावी माहौल और उम्मीदवारों की रणनीति पर कितना प्रभाव डालेगा, इसी पर सबकी नजरें टिकी हैं।
गड़चिरोली जिले की तीनों नगर परिषद के देसाईगंज, आरमोरी तथा गड़चिरोली में आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक होने के कारण 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है, इस पर राजनीतिक दल तथा उम्मीदवारों की विशेष नजर है।
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गड़चिरोली जिले की 3 नगर परिषद में कुल 68 पार्षद पद हैं, जिसमें गड़चिरोली में 27, आरमोरी में 20 तथा देसाईगंज में 21 है। इनमें से 31 सीटें खुले प्रवर्ग के लिए हैं, जबकि बाकी विभिन्न आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षित हैं। नगराध्यक्ष पदों की स्थिति भी अलग-अलग है, गड़चिरोली में खुले प्रवर्ग की महिला, देसाईगंज में अन्य पिछड़ा प्रवर्ग की महिला तथा आरमोरी में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण तय है।
इस प्रकार औसत आरक्षण लगभग 55 प्रतिशत के आसपास पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट पहले 25 नवंबर को निर्णय देने वाला था, लेकिन सुनवाई आगे बढ़ाकर अब 28 नवंबर को निर्णय सुनाया जाएगा। इससे उम्मीदवारों में बेचैनी और बढ़ गई है।






