प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: महाराष्ट्र में गड़चिरोली जिला धान उत्पादक जिले के रूप में पहचाना जाता है। इस जिले में खरीफ और रबी सत्र में बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन लिया जाता है। जिले में आदिवासी विकास महामंडल और मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा धान खरीदा जाता है। लेकिन पिछले कई वर्षों से धान खरीदी प्रक्रिया के बाद केंद्रों में पड़ा धान उठाने में देरी होने के कारण धान खरीदी संस्था समेत किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष भी वहीं स्थिति निर्माण हो गई है।
आदिवासी विविध कार्यकारी संस्थाओं द्वारा धान खरीदी केंद्र के माध्यम से किसानों से खरीफ सत्र में धान खरीदा गया था। लेकिन अब तक खरीदी केंद्रों में पड़ा धान उठाए नहीं जाने के कारण संस्थाओं के पास नये से धान खरीदी करने के लिए जगह उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण अनेक संस्थाओं ने ग्रीष्मकालीन धान खरीदने से इंकार किया है।
इधर किसान ग्रीष्मकालीन धान फसल की कटाई व कुटाई कर धान खरीदी केंद्र शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे है। लेकिन दूसरी ओर धान खरीदी संस्थाओं द्वारा अपनी भूमिका स्पष्ट किए जाने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है।और मजबूरी में निजी व्यापारियों को कम दाम में अपना माल बेचने की नौबत किसानों पर आ पड़ी है।
प्रति वर्ष आदिवासी विकास महामंडल द्वारा जिले के किसानों ने करोड़ों रुपयों का लाखों क्विंटल धान खरीदी केंद्र के माध्यम से खरीदा जाता है। लेकिन जिले में अनेक संस्थाओं के पास किसानों से खरीदा गया धान रखने के लिए गोदाम नहीं होने के कारण खुले में तिरपाल बिछाकर रखा जाता है। जिसके प्रति वर्ष बारिश में धान भीगने के मामले सामने आते है।
बताया जा रहा है कि, खरीफ सत्र में खरीदा गया धान अब भी खरीदी केंद्रों में खुले में पड़ा है।ऐसे में आगामी कुछ ही दिनों में मानसून की शुरुआत होने वाली है।यदि समय रहते धान नहीं उठाया गया तो, सरकार को लाखों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जिले के किसानों ने अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन धान फसल लगाए थे और वर्तमान में धान फसल की कटाई और कुटाई की प्रक्रिया पूर्ण कर किसान समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्र शुरू होने के प्रतीक्षा कर रहे है।लेकिन बरसात के दिन करीब आने के बाद भी अब तक जिले में ग्रीष्मकालीन धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं किये गए है। जिसका खामियाजा धान उत्पादक किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
एक तरफ जिले के किसानों को राहत देने के लिए राजनीतिक दल और समाजसेवी संगठनों ने संबंधित विभाग से तत्काल धान खरीदी केंद्र शुरू करने की मांग कर रहे है। लेकिन दूसरी विभाग की उदासीन नीति के कारण अब तक जिले में धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो पाए है। जिसके कारण जिले के किसान पूरी तरह त्रस्त हो गये है।