देवेंद्र फडणवीस और मनोज जरांगे (फोटो: एक्स)
मुंबई. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर अपने खिलाफ हो रही सियासी साजिशों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जिसकी वजह से पिछले कई महीनों से फडणवीस को निशाना बनानेवाले मनोज जरांगे पाटिल अब खुद सवालों में घिर गए हैं। एक समारोह के दौरान पूछे गए सवाल पर फडणवीस ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री हूं। एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री हैं और अजीत पवार भी उपमुख्यमंत्री हैं। महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार है, फिर भी मनोज जरांगे पाटिल रोजाना मुझे ही क्यों निशाना बनाते हैं? इस सवाल का जवाब कोई उनसे पूछे।
महाराष्ट्र चुनावों से पहले मराठा आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। मनोज जरांगे पाटिल, जो इस मुद्दे का प्रमुख चेहरा बने हुए हैं, पिछले एक साल से आंदोलनरत हैं। लेकिन हाल के दिनों में उन्होंने खासतौर पर फडणवीस और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनके बयान केवल फडणवीस और बीजेपी के खिलाफ ही आते हैं, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का नाम उनके किसी बयान में नहीं आया।
फडणवीस ने कहा कि जब मैं पहली बार सत्ता में आया, तो मराठा आरक्षण को लागू किया और सुप्रीम कोर्ट में इसका मुकदमा लड़ा। जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार आई, तो आरक्षण पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ठाकरे सरकार सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण का मुकदमा ठीक से नहीं लड़ी, जिससे आरक्षण खत्म हो गया। अब बीजेपी फिर से इसे लागू करने की कोशिश कर रही है, फिर भी जरांगे पाटिल मेरे खिलाफ अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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फडणवीस ने मराठा आरक्षण का इतिहास याद दिलाते हुए अपने विरोधियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि शरद पवार तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उन्होंने कभी मराठों को आरक्षण नहीं दिया। 1982 में स्वर्गीय अन्ना साहेब पाटिल ने कांग्रेसी नेतृत्व से मराठा समाज के लिए आरक्षण की मांग की थी, लेकिन उनकी चेतावनी के बावजूद कांग्रेस ने आरक्षण नहीं दिया, जिससे अन्नासाहेब पाटिल ने आत्महत्या कर ली। तब से शुरू हुई मराठा आरक्षण की लड़ाई के दौरान 4 बार कांग्रेस या एनसीपी की सरकार रही, लेकिन मराठाओं को आरक्षण नहीं मिला।
फडणवीस ने कहा कि हमारी सरकार ने पहली बार मराठा समाज आरक्षण दिया। हमने अन्नासाहेब पाटिल आर्थिक विकास महामंडल को पुनः स्थापित किया, जिससे एक लाख से ज्यादा उद्यमी तैयार हुए। मेरे कार्यकाल में ही ‘सारथी’ कार्यक्रम के जरिए मराठा समाज के आईएएस और आईपीएस अधिकारी तैयार हुए। हमने मराठा समाज के बच्चों की पढ़ाई के लिए 50% फीस कटौती और हॉस्टल की सुविधा दी। जिन मराठा बच्चों को हॉस्टल में जगह नहीं मिली, उन्हें भत्ता भी दिया गया। फडणवीस ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इतना सब कुछ करने के बावजूद मुझे आरक्षण विरोधी कहा जा रहा है। जिन लोगों ने मराठा आरक्षण की जरूरत नहीं मानी और जिन्होंने कभी आरक्षण नहीं दिया, उनसे कोई सवाल नहीं पूछा जा रहा।
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फडणवीस ने यह भी सवाल उठाया कि जब उद्धव ठाकरे की सरकार थी, तब मनोज जरांगे पाटिल ने कोई विरोध नहीं किया। अब, जब चुनाव निकट आ रहे हैं, तो मुझे लगातार निशाना बनाया जा रहा है। पाटिल ने हाल ही में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा भी की है। फडनवीस के अनुसार, पाटिल का यह एकतरफा विरोध सरकार के बाकी प्रमुख नेताओं और पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार पर उनकी चुप्पी को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।