
छत्रपति शिवाजी महाराज (सौ. सोशल मीडिया )
नवभारत डिजिटल डेस्क : क्या आप जानते हैं कि महाराष्ट्र में आज भी ऐसे 2 अजिंक्य किले है, जिन्हें कभी भी कोई जीत नहीं पाया हैं। आज हम आपको ऐसे ही किले के बारे में बताने जा रहे है जो अरब सागर के बीचों बीच एक टापू पर बना था। इस किले को मछुआरों ने बसाया था और बाद में ये किला अफ्रीका से आए गुलामों की रियासत बना था। ये एक ऐसा किला है, जिसे जीतने का सपना हर किसी भारतीय शासक का रहा था, लेकिन इसे कोई भी नहीं जीत पाया था। यहां तक कि मराठा साम्राज्य के सबसे महानतम शासक छत्रपति शिवाजी महाराज भी इस किले को जीतने में नाकामयाब रहे थे।
आपको बता दें कि हम बात कर रहे हैं रायगढ़ के पास अरब सागर में बने मुरुड जंजीरा किले की। ये किला मुंबई से 165 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले का तटीय इलाका है। मुरुड के पास अरब सागर में बना हुआ है जंजीरा किला, जिसे आप मुरुड जंजीरा किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले को जंजीरा नाम इसीलिए दिया गया है, क्योंकि अरबी भाषा में आइलैंड को जंजीरा भी कहा जाता है। इसी जंजीरा शब्द के कारण इस किले को ये नाम दिया गया है।
मराठा साम्राज्य के सबसे महानतम शासक छत्रपति शिवाजी महाराज किलों के महत्व को बखूबी जानते थे। जिसके कारण उन्हें जंजीरा किले पर कब्जा करने की पूरजोर कोशिश की थी। जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने जंजीरा के इस किले पर हमला किया, तब निजामशाही कमजोर हो चुकी थी। यही कारण था कि जंजीरा के सिद्दियों ने बीजापुर के आदिलशाही सल्तनत के साथ हाथ मिला लिया था। बीजापुर की ओर से फत्ते खां को जंजीरा का प्रमुख बनाया गया था। फत्ते खां के अंतर्गत 7 और किले भी अधीन थे, जिन्हें मराठाओं ने अपने कब्जे में किया था। बाकी रह गया था सिर्फ जंजीरा किला।

जंजीरा को जीतने के शुरूआती अभियानों में नाकामयाब होने के बाद 1669 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने खुद जंजीरा पर हमले की अगुवाई की। जिसके लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने फत्ते खां को एक संदेश भेजा कि हम आपको मुआवजा देंगे, सम्मान देंगे और आपके साथ किसी भी तरह की कोई बदसलूकी नहीं करेंगे। फत्ते खां ने भी इसे मान लिया। लेकिन किले के एक वर्ग को उनका छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ हाथ मिलाना पसंद नहीं आ रहा था। जिसके कारण उन्होंने फत्ते खां के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया और उन्हें कैद कर लिया गया।
इसके बाद सिद्दियों ने किले पर अपना एकछत्र राज जमा लिया और आदिलशाही से संधि तोड़कर मुगलों के साथ हाथ मिला लिया। छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ सिद्दियों ने मुगल बादशाह ने औरंगजेब से मदद मांगी। उस समय शिवाजी महाराज के सबसे बड़े दुश्मन औरंगजेब ने सिद्दियों से हाथ मिला था।
जिसके बाद औरंगजेब ने सिद्दियों की मदद के लिए अपनी सेना भेजी। मराठा फौज को इसके लिए 2 मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ी थी। इस मुसीबत से लड़ने के लिए शिवाजी महाराज ने नौसेना तैयार करने का फैसला लिया था। शिवाजी को ये यमझ गया था कि साम्राज्य को चलाने के लिए नौसेना बनाना कितना जरूरी है। जिसके लिहाज से उन्होंने 20 जहाजों की एक फ्लीट तैयार करके मराठा नौसेना की शुरूआत की थी।
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जंजीरा को जीतने के लिए मराठाओं ने अगली लड़ाई 1676 में लड़ी, जिसमें पेशवा मोरोपंत के नेतृत्व में मराठाओं ने जंजीरा पर चढ़ाई करने की कोशिश की थी। पेशवा ने ये योजना बनायी थी कि वे सीढ़ियों के माध्यम से सीधे किले के दरवाजे को पार कर लेंगे, लेकिन वो वहां पहुंचते इससे पहले ही मुगल फौज ने मराठा सैनिकों पर हमला किया। जिसके कारण ये योजना भी असफल रह गई थी।
शिवाजी महाराज के बाद उनके बेटे संभाजी महाराज ने भी जंजीरा जीतने की कोशिश को जारी रखा। 1682 में उन्होंने समुद्र में पुल बनाने की कोशिश की। लेकिन इसी समय पर मुगलों ने रायगढ़ पर हमला कर दिया था। मुगल सरदार हसन अली ने 40000 की फौज के साथ रायगढ़ पर हमला कर दिया था। इसके चलते संभाजी को जंजीरा का मोर्चा छोड़कर रायगढ़ की ओर रवाना होना पड़ा था और ऐसे इस किले को जीतने के लिए मराठाओं की आखिरी कोशिश भी फेल हो गई थी।






