चिमूर. तहसील के भिसी नगर पंचायत में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को ठेकेदारों द्वारा परेशान किया जा रहा है. और बार-बार बर्खास्तगी की धमकी दी जा रही है. मुख्याधिकारी इस ओर अनदेखी कर रहे हैं. ठेकेदार के अंडर में कामगार तनाव में काम कर रहे हैं. इस अवसर पर पीड़ित कामगार राधा मेश्राम, मंदा शेंडे, भूमिका गोकुल शेंडे, अक्षय नागपुरे, सरिता मेश्राम ने चंद्रपुर में आयोजित पत्रपरिषद में न्याय की गुहार लगाई है. भिसी नगर पंचायत ने शहर में सफाई का ठेका समाज संस्कृति बहुउद्देश्यीय संस्था को दिया है. इस संस्था के तहत कई सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं. लेकिन ठेकेदार द्वारा मजदूरों को परेशान किया जा रहा है. कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया. जबकि श्रमिकों को न्यूनतम वेतन देना अनिवार्य है, लेकिन उन्हें मात्र पांच हजार रुपये देकर काम करने को मजबूर किया जाता है.
न्यूनतम वेतन की मांग करने पर बर्खास्तगी की धमकी दी जाती है. कर्मचारियों ने आरोप किया कि, उनसे ज्यादा घंटे काम लिया जा रहा है. संबंधित ठेकेदार कंपनी को प्रति वर्ष 47 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है. 370 पर मजदूरों को वेतन देने पर सहमति बनी. हालांकि, यह भी आरोप लगाया गया कि प्रतिदिन केवल दो सौ रुपये का भुगतान किया जा रहा था. दिलचस्प बात यह है कि बैंक खाते में वेतन जमा करने के नाम पर कर्मियों से पैन कार्ड, बैंक पासबुक, आधार कार्ड मांगा गया है. हालांकि कर्मियों का यह भी आरोप है कि वेतन की राशि बैंक में जमा किये बिना ही दे दी जा रही है और पीएफ भी नहीं दिया जा रहा है.
कामगारों को दीपक अडकिने की अर्थक्रांति निधि लिमिटेड में एक बैंक खाता खोलने के लिए कहा गया था. लेकिन 18 माह बाद भी वेतन बैंक खाते में नहीं आया है. कर्मचारियों का आरोप है कि कर्मचारी मानसिक तनाव में हैं. क्योंकि पिछले कुछ दिनों से उन पर पीएफ निकालने और वापस करने का दबाव बनाया जा रहा है. इस ओर मुख्याधिकारी जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं. मुख्याधिकारी, प्रशासक, समाज संस्कृति बहु. संस्था के संचालक व ठेकेदार कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की मांग कामगारों ने पत्रपारिषद में की है.