
चंद्रपुर न्यूज
Chandrapur Nagar Parishad Election : नगर परिषद चुनाव के बाद अब सबका ध्यान उपाध्यक्ष और सभापति पद के चुनाव पर लग गया है। नगराध्यक्ष का सीधा चुनाव होने की वजह से कुछ नगर परिषदों में ऐसी स्थिति बन गई है, जहां नगराध्यक्ष एक पार्टी का और उपाध्यक्ष तथा सभापति दूसरी पार्टी का है। सदन में बहुमत के लिए अब उपाध्यक्ष और सभापति के पदों के लिए फील्डिंग लग रही है।
हालांकि कांग्रेस के पास 7 नगराध्यक्ष हैं, लेकिन सदन चलाने के लिए वरोरा, घुग्गुस, बल्लारपुर में बहुमत के लिए उन्हें दूसरों को साथ लेना होगा।कांग्रेस को ब्रह्मपुरी, मूल, नागभीड़ और राजुरा में किसान संगठन की मदद से बहुमत मिला है। कुछ ऐसी ही स्थिति भाजपा के साथ भी है और भिसी में बहुमत के लिए भाजपा को एक नगरसेवक की जरूरत है, जबकि चिमूर में भाजपा को साफ़ बहुमत मिला है।
इसलिए, जहां बहुमत है, वहां नेताओं की मर्जी से और दूसरी जगहों पर घटक दलों की मर्जी से उपाध्यक्ष और सभापति का फ़ैसला होगा। हाल ही में हुए नगर निगम व पंचायत चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था।भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। कांग्रेस ने कुछ जगहों पर महाविकास आघाड़ी को बचाकर चुनाव जीता, जिसका उन्हें फ़ायदा हुआ। लेकिन भाजपा यह समझदारी से नहीं कर सकी। नतीजतन, भाजपा को 2 नगराध्यक्ष पदों पर ही संतोष करना पड़ा।
कांग्रेस को चाहिए नगराध्यक्ष के लिए बहुमत हालांकि 11 में से 9 नगराध्यक्ष चुन लिए गए है, लेकिन कांग्रेस का सिरदर्द अभी खत्म नहीं हुआ है। कांग्रेस को वरोरा, घुग्गुस और बल्लारपुर में मशक्कत करना होगा।यहां उन्हें – एक नगरसेवक चाहिए और उन्हें महाविकास आघाडी में घटक दल शिवसेना, उबाठा से 5 नगरसेवक लेने होंगे।
वरोरा में कांग्रेस का नगराध्यक्ष है, लेकिन बहुमत के लिए 4 नगरसेवक चाहिए, अगर भाजपा के साथी और एक निर्दलीय साथ आते हैं, तो सदन में बहुमत भाजपा का हो जाएगा। यहां उपसभापति का पद किसी निर्दलीय के पास जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। घुग्गुस में नगराध्यक्ष भले ही कांग्रेस का हो, लेकिन बहुमत के लिए एक नगरसेवक यहां भी चाहिए।
भाजपा के एक बागी ने तीसरा मोर्चा बनाकर नगराध्यक्ष का पद अपने नाम कर लिया। इतना ही नहीं, तीसरे मोर्चे ने 20 में से 5 सीटें जीतीं। यहां कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। तीसरे मोर्चे को बहुमत के लिए कांग्रेस या भाजपा का समर्थन लेना होगा।
कांग्रेस ने चुनाव से पहले शेतकरी संगठना के साथ गठबंधन किया था। चूंकि यह पहले से तय था कि नगराध्यक्ष कांग्रेस का होगा, इसलिए बाकी सभी पद शेतकारी संगठना को मिलेंगे।
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यह नगर निगम शुरू से ही शिवसेना के हाथ में थी। इस बार भी लोगों ने तीर-कमान उठाया और शिंदे गुट का नगराध्यक्ष दिया। लेकिन साफ बहुमत नहीं दिया। शिवसेना को बहुमत के लिए 3 नगरसेवक चाहिए और अगर कांग्रेस और आघाडी के दूसरे घटक दल एक साथ आते हैं, तो शिंदे गुट का गणित गड़बड़ा सकता है। भाजपा के सिर्फ 4 नगरसेवक ही चुने गए है।
जिले में हुए ननि चुनाव में भाजपा को चिमूर और भिसी नगर पंचायत में नगराध्यक्ष मिला। लेकिन भिसी नगर पंचायत में उसे बहुमत नहीं मिला है। यहां उपसभापति का पद किसी दूसरी पार्टी के सहयोग करने वाले व्यक्ति को मिल सकता है।






