विधायक सुधाकर अड़बाले व मंत्री गिरीश महाजन (सोर्स: सोशल मीडिया)
चंद्रपुर: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के ताड़ाली एमआईडीसी स्थित धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने वर्धा नदी से बिजली उत्पादन परियोजना तक निजी भूमि से होकर स्वीकृत मार्ग का उपयोग किए बिना पाइपलाइन बिछाए जाने की बात सामने आयी है। इस पाइपलाइन के रिसाव से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है, इसलिए जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने विधायक सुधाकर अड़बाले के प्रश्न पर जवाब देते हुए कंपनी की दोबारा जांच के निर्देश दिए।
विधायक सुधाकर अड़बाले ने 2025 के मानसून सत्र में इस संबंध में एक तारांकित प्रश्न उठाया था। पाइपलाइन बिछाने के लिए गलत मार्ग का उपयोग करने वाली धारीवाल कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यह प्रश्न करते हुए विधायक अड़बाले ने यह भी मांग की कि किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए।
जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने बताया कि धारीवाल कंपनी को सरकारी अनुमति के अनुसार 6 फीट की गहराई पर पाइपलाइन बिछानी थी। हालांकि, उन्होंने यह पाइपलाइन निजी भूमि से होकर और कम गहराई पर बिछाई है, इसलिए इसमें रिसाव हो रहा है और किसानों को नुकसान हो रहा है।
ज़िलाधीश ने 18 मार्च, 2025 को एक आदेश पारित कर इस मामले की जांच के लिए उप-अधीक्षक, तहसीलदार, तहसील कृषि अधिकारी और अन्य अधिकारियों की एक समिति नियुक्त की थी। हालांकि, इस समिति ने एक संदिग्ध रिपोर्ट दी है कि केवल छह किसानों को 15,000 रुपये का मुआवज़ा दिया गया है।
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राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने जांच समिति की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई और जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए। 15,000 रुपये की सहायता यात्रा व्यय से भी कम है। वास्तविक नुकसान का कोई वस्तुनिष्ठ अध्ययन नहीं किया गया है। इसलिए ज़िलाधीश को नए सिरे से जांच करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
कंपनी को स्वीकृत मार्ग पर ही पाइपलाइन बिछानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई रिसाव न हो ऐसे जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने सदन में स्पष्ट निर्देश दिए। विधायक अड़बाले ने कहा कि जब तक किसानों को धारीवाल कंपनी से मुआवजा नहीं मिल जाता, वे सदन में इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।