खेतो में वन्य जीवों का उत्पात (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: जिले में इन दिनों गांवों और खेतों में बंदर और हिरण के झुंड खुलेआम घूमते नजर आ रहे हैं। विशेषतः जांब, लोहारा, लंजेरा और देऊलगांव सोरणा के खेतों में धान, अरहर, कपास जैसी फसलें लहलहा रही हैं, लेकिन वन्य जीवों की बढ़ती उपस्थिति के कारण इन फसलों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। वैसे पूरे जिले में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है।
किसानों का कहना है कि बंदरों और हिरणों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि वे कोमल अंकुरित पौधे को जड़ से उखाड़कर खा जाते हैं। कुछ स्थानों पर तो तुअर की फसल जैसे ही अंकुरित होती है, उसे उखाड़कर खा लिया जाता है, जिससे किसानों को लगातार भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। लगातार हो रहे नुकसान से परेशान किसानों का सवाल है कि क्या अब हम सिर्फ बीज बोते ही रहेंगे और फसल उगने से पहले ही वन्य जीव उसे नष्ट कर देंगे?
बारिश इस बार समय पर हुई, जिससे फसलों की बुआई समय पर और अच्छी तरह से हो सकी। इस कारण किसानों के चेहरे पर शुरुआत में उम्मीद की खुशी थी। लेकिन अब बंदरों और हिरणों के कारण फसलें अंकुरित होते ही नष्ट हो रही हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने अरहर की फसल को तीन-चार बार फिर से बोया है, लेकिन हर बार फसल को उखाड़कर फेंक दिया जा रहा है। इस वजह से उन्हें मानसिक और आर्थिक दोनों तरह का तनाव झेलना पड़ रहा है।
किसानों ने वन विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वन विभाग की ओर से वन्य जीवों के नियंत्रण या उनके प्रबंधन के लिए कोई भी ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं। नतीजतन, मवेशियों की तरह अब हिरण और बंदर भी खेतों में जमकर उत्पात मचा रहे हैं। कुछ जानकार किसानों का कहना है कि यदि बुआई समय पर और ठीक से हो जाए, तो फसल से अच्छा उत्पादन संभव है। लेकिन जब वन्य जीव पूरी फसल नष्ट कर देते हैं, तो सारा परिश्रम और लागत व्यर्थ हो जाती है। इससे न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि उनका मनोबल भी टूटता है।
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किसानों की मांग है कि वन विभाग को इस समस्या को गंभीरता से लेकर तत्काल प्रभाव से कोई विशेष योजना बनानी चाहिए, जिससे खेतों में वन्य जीवों के प्रवेश को रोका जा सके। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो किसान खेती से विमुख होने को मजबूर हो सकते हैं। इस पूरे मामले से स्पष्ट है कि वन्य जीवों के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ रही हैं और प्रशासन की ओर से ठोस उपायों की सख्त आवश्यकता है। नहीं तो आने वाले दिनों में यह संकट और भी गंभीर रूप ले सकता है।