धान की खेती पर करपा रोग का कहर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: भंडारा जिले की पहचान और किसानों की रोज़ी-रोटी कही जाने वाली धान की खेती पर बीमारी का साया मंडरा रहा है। लगातार हो रही बरसात से करपा रोग ने विकराल रूप धारण कर लिया है। हालात ऐसे हैं कि जिले की धान की फसल चौपट होने की कगार पर है। जिले में 1 लाख 82 हजार हेक्टेयर पर धान की फसल लगाई गई है।सातों तहसीलों में धान की फसल पीली पड़ गई है। अनेक किसान हताश, परेशान और पूरी तरह निराश हो चुके हैं।
पिछले आठ दिनों तक बरसात ने थमने का नाम नहीं लिया। किसानों ने कीटनाशक का छिड़काव किया लेकिन बारिश तुरंत दवा बहा ले गई ।मोहाडी तहसील के किसान विनोद पचघरे का दर्द छलक पड़ा और वे कहने लगे कि कितनी भी कोशिश करो, दवाई तुरंत बह जाती है… कोई फायदा ही नहीं दिखता।पिछले साल खरीफ सीजन के अंत में आई अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। इस साल भी वही हालात दोहराने की आशंका है।
हल्की किस्म का धान फूल पर है, जबकि भारी किस्म का धान गर्भावस्था में है। ऐसे समय में लगातार बारिश और तेज हवाओं ने परागकण की प्रक्रिया बिगाड़ दी है, जिससे धान का उत्पादन बुरी तरह घटने की आशंका है।बारिश और तूफान ने धान की खड़ी फसल को चपेट में लेकर कई जगहों पर उसे जमीन पर गिरा दिया है। किसान मजबूरन अपनी मेहनत मिट्टी में मिलती देख रहे हैं।
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मई माह में आंधी-तूफान से हुए नुकसान का मुआवजा आज तक किसानों के खातों में नहीं पहुंचा। मोहाडी तहसील में तो सर्वेक्षण में ही बड़े पैमाने पर गड़बड़ी उजागर हुई है। किसानों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और गड़बड़झाले के कारण उन्हें उनका हक नहीं मिल रहा।
अब किसान पुन: सर्वेक्षण और तत्काल मुआवजा वितरण की मांग कर रहे हैं।किसानों का सीधा सवाल है कि जब बारिश और बीमारी दोनों से फसल तबाह हो रही है, तो शासन की राहत योजना कहाँ है?श्रक्यों हर साल नुकसान झेलने के बावजूद किसानों को सिर्फ आश्वासन ही दिए जाते हैं?आखिर कब तक किसान बरसात की मार सहते रहेंगे?