
बकाया टैक्स भरने की जद्दोजहद (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara District: भंडारा, ब्यूरो।जिले की भंडारा, तुमसर, पवनी और साकोली नगर परिषद चुनावों के लिए नामांकन की उलटी गिनती शुरू होते ही उम्मीदवारों में कमर कसकर दौड़भाग शुरू हो गई है।सबसे बड़ी कसरत बकाया टैक्स चुकाने की है, क्योंकि नियम साफ हैं कि उम्मीदवार, उनके सूचक और अनुमोदक में से किसी पर भी टैक्स बकाया नहीं होना चाहिए।नतीजा यह कि नगर परिषद दफ्तरों में पिछले कई दिनों से टैक्स जमा करने के लिए भीड़ उमड़ रही है।
जैसे ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई, नागरिकों ने भी अपनी वर्षों पुरानी बकाया टैक्स भरना शुरू कर दिया है।नगराध्यक्ष और नगरसेवक बनने की चाह रखने वाले कुछ दावेदार तो पिछले तीन-चार साल की बकाया राशि एकसाथ भरते दिखाई दिए।इस वजह से नगर परिषदों के राजस्व में इस बार वृद्धि होने के संकेत हैं।राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को एक सूचक चाहिए, जबकि निर्दलीय
उम्मीदवारों को पांच नियम यह कि इनमें से कोई भी बकायेदार नहीं होना चाहिए। यही कारण है कि कई उम्मीदवार अपने सूचकों और अनुमोदकों की बकाया राशि भी अपनी जेब से चुकाते नजर आ रहे हैं। इस वजह से उम्मीदवारों की तरफ से एक तरह की बकाया राशि भरने की मुहिम जोर पकड़ चुकी है।10 से 17 नवंबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे।
नामांकन दाखिल करने से पहले कर पूरी तरह टैक्स रहित होना अनिवार्य है। इसी वजह से नगर परिषद कार्यालयों में करदाताओं और उम्मीदवारों की भीड़ लगातार बढ़ रही है।चुनावी माहौल ने राजस्व की रफ्तार में वह उछाल दिया है, जो सालों में देखने को नहीं मिलता।कई संभावित उम्मीदवारों ने पिछले कई वर्षों का लंबित संपत्ति कर और पानीपट्टी एकमुश्त चुकाकर वन-टाइम क्लियरेंस करवाया है।चुनावी माहौल ने ऐसी वसूली संभव कर दिखाई है, जिससे पालिकाओं की आर्थिक स्थिति में तुरंत सुधार होने की उम्मीद जताई जा रही है।
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जैसे ही चुनाव कार्यक्रम की तारीख घोषित हुई, जिले का राजनीतिक तापमान एकदम बढ़ गया है।लोकसभा और विधानसभा में मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं ने अब नगर परिषद चुनाव में टिकट की उम्मीद में पार्टी नेतृत्व को घेरना शुरू कर दिया है।जिला, तहसील और प्रदेश स्तर पर नेताओं के चक्कर, गुप्त बैठकों, समीकरणों और जोड़तोड़ की भरमार दिखाई दे रही है।






