
भंडारा जिले में चुनावी प्रचार चरम पर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara Election News: भंडारा, साकोली, पवनी और तुमसर नगर पालिकाओं के चुनाव में मतदान के केवल तीन दिन शेष हैं। ऐसे में चुनावी प्रचार अपने चरम पर पहुँच गया है। उम्मीदवारों की रैलियाँ, सभाएँ, पदयात्राएँ और घर-घर संपर्क अभियान से पूरा वातावरण लोकतांत्रिक उत्साह से सराबोर हो गया है। प्रत्येक प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंककर मतदाताओं तक पहुँचने में जुटा हुआ है। इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि राज्य स्तर पर एक साथ रहने वाली महायुति और महाआघाड़ी के घटक दल स्थानीय स्तर पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं।
सहयोगी दलों के आमने-सामने आने से मुकाबला बेहद दिलचस्प और तीखा हो गया है। कई वार्डों में कड़ी और बहुकोणी टक्कर के संकेत मिल रहे हैं, जिससे मतदाताओं के सामने चयन का विकल्प और अधिक पेचीदा हो गया है। चारों नगर पालिकाओं में आरक्षण ने मुकाबले का स्वरूप बदल दिया है। भंडारा, साकोली और पवनी में नगराध्यक्ष पद केवल महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, इसलिए यहाँ महिला उम्मीदवारों का प्रचार अभियान विशेष रूप से जोर पकड़ रहा है। वहीं तुमसर में नगराध्यक्ष पद ओबीसी (अन्य मागासवर्ग) के लिए आरक्षित है। आरक्षण के कारण कई प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवारों के नए चेहरे भी चुनावी मैदान में उतरे हैं।
मुख्य दलों में टिकट न मिलने से असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर मुकाबले को और जटिल बना दिया है। भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना, राष्ट्रवादी (अजित पवार और शरद पवार गुट) तथा कांग्रेस के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लड़ाई देखने को मिल रही है।
वोटरों को आकर्षित करने हेतु साम, दाम, दंड, भेद जैसी विभिन्न चुनावी रणनीतियों का उपयोग जारी है। प्रचारबंदी से पहले अधिकतम मतदाताओं तक पहुँचने के लिए शेष दो दिन का समय निर्णायक माना जा रहा है। अंतिम फैसला 2 दिसंबर को होने वाले मतदान में होगा।
अब 1 दिसंबर की रात 10 बजे तक प्रचार की अनुमति रहेगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रचारबंदी की समय-सीमा में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया है कि 2 दिसंबर को मतदान होने के कारण 1 दिसंबर रात 10 बजे से सभी राजनीतिक सभाएँ, मोर्चे, लाउडस्पीकर का उपयोग, चुनावी विज्ञापन और प्रचार सामग्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
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प्रचार के अंतिम चरण में मतदान की पूर्व संध्या पर कुछ गुप्त सौदेबाज़ी या घोड़ेबाज़ार होने की आशंका भी राजनीतिक गलियारों में जताई जा रही है। मतदाताओं को प्रलोभन देने, धन वितरण करने या विरोधी गुट के समर्थकों को प्रभावित करने जैसे प्रयासों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।






