
बाढ़-भूस्खलन से तबाह इंडोनेशिया, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Indonesia Natural Disaster: इंडोनेशिया के आचेह, उत्तर सुमात्रा और पश्चिम सुमात्रा प्रांतों में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर तबाही मचा दी है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी (BNPB) द्वारा शुक्रवार को जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, आपदा में अब तक 174 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 79 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इसके अलावा, 12 लोग घायल हुए हैं और हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
बीएनपीबी प्रमुख सुहार्यान्तो ने बताया कि सबसे ज्यादा जनहानि उत्तर सुमात्रा प्रांत में हुई है, जहां 116 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 42 लोग अब भी लापता हैं। लगातार जारी भूस्खलन और क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण कई प्रभावित गांवों तक बचाव टीमों का पहुंचना बेहद कठिन हो गया है। कई क्षेत्रों में भारी मलबा जमा होने से रेस्क्यू मिशन में देरी हो रही है।
आचेह प्रांत में 35 लोगों की मौत हुई है, 25 लोग लापता हैं और 8 लोग घायल हुए हैं। वहीं पश्चिम सुमात्रा में 23 मौतें दर्ज की गई हैं, 12 लोग लापता हैं और 4 घायल बताए जा रहे हैं। इन तीनों प्रांतों में स्थानीय प्रशासन, सेना और राष्ट्रीय बचाव दल संयुक्त रूप से राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।
आपदा के चलते कई जिलों में सड़कें, पुल और स्थानीय इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। लगभग 3,900 परिवारों को अस्थायी राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है, जहां उन्हें भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता मुहैया कराई जा रही है।
बचाव और राहत के काम में तेजी लाने के लिए बीएनपीबी ने तीनों प्रभावित प्रांतों में वेदर मॉडिफिकेशन ऑपरेशन्स (WMO) यानी मौसम संशोधन अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य बारिश देने वाले बादलों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से दूर करना है, ताकि और अधिक भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं को रोका जा सके।
इसी संकट के बीच गुरुवार सुबह आचेह प्रांत के तट से 6.3 तीव्रता का भूकंप भी दर्ज किया गया। मौसम, जलवायु और भूभौतिकी एजेंसी (BMKG) के अनुसार, भूकंप का केंद्र सिमेल्यू द्वीप के पास समुद्र में लगभग 10 किमी की गहराई पर था। हालांकि, भूकंप से किसी जनहानि या बड़े नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन हल्के से मध्यम झटके आसपास के क्षेत्रों में महसूस किए गए।
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इंडोनेशिया प्रशांत के “रिंग ऑफ फायर” क्षेत्र में स्थित है, जहां कई टेक्टॉनिक प्लेटें मिलती हैं, जिससे यह क्षेत्र अक्सर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होता है। इस आपदा ने एक बार फिर देश की भौगोलिक संवेदनशीलता और तैयारी तंत्र की चुनौतियों को उजागर किया है।






