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तहसीलों को विकास की प्रतीक्षा, धान-वन-मैगनीज आधारित उद्योगों से मिल सकती है नई पहचान

Bhandara Industrial Potential: भंडारा, तुमसर और पवनी तहसीलें धान, वन और मैगनीज आधारित उद्योगों व इको-टूरिज्म के माध्यम से बड़े औद्योगिक और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकती हैं।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Dec 03, 2025 | 07:58 PM

तहसीलों को विकास की प्रतीक्षा (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Tourism Opportunities Bhandara: आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी उद्योग और पर्यटन की अपार संभावनाओं से भरपूर भंडारा, तुमसर और पवनी तहसीलें व्यापक विकास की प्रतीक्षा कर रही हैं। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों, कृषि उत्पादन, खनिज संपदा और घने वनों से समृद्ध है, लेकिन सुनियोजित औद्योगिकीकरण के अभाव में बेरोजगारी, पलायन और आर्थिक पिछड़ापन अब भी गंभीर मुद्दे बने हुए हैं।

यदि धान, वनों और मैगनीज पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाए, तो यह क्षेत्र न केवल रोजगार का बड़ा केंद्र बन सकता है, बल्कि विदर्भ की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा प्रदान कर सकता है।

प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमुख केंद्र

भंडारा जिला जैवविविधता और घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। सातपुड़ा पर्वत श्रृंखला के विस्तृत वनों में कई औषधीय गुणों वाली वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। इन औषधीय पौधों पर आधारित उद्योग स्थापित होने से यह क्षेत्र हर्बल उत्पाद और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रमुख केंद्र बनने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि औषधीय पौधों का वैज्ञानिक दस्तावेजीकरण और अनुसंधान अत्यंत आवश्यक है, ताकि इनके औद्योगिक उपयोग की संभावनाओं को बढ़ाया जा सके।

खनिज संपदा

खनिज संपदा के संदर्भ में देखा जाए तो तुमसर क्षेत्र के सातपुड़ा पहाड़ों में उच्च गुणवत्ता का मैगनीज और डोलोमाइट उपलब्ध है। चिखला और डोंगरी की खदानें लंबे समय से विश्वस्तरीय मैगनीज उत्पादन के लिए जानी जाती रही हैं। यदि इन खदानों के आसपास मैगनीज प्रसंस्करण इकाइयाँ, स्टील उद्योग और मिश्रधातु उद्योग स्थापित किए जाएँ, तो हजारों युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त हो सकता है।

‘धान का भंडार’

विशेषज्ञों का कहना है कि बंद खदानों को पुनः चालू करने और नई औद्योगिक इकाइयों को अनुमति देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की सक्रिय पहल आवश्यक है। भंडारा जिला वैनगंगा, बावनथड़ी, सूर और चुलबंद जैसी नदियों के कारण कृषि की दृष्टि से अत्यंत उर्वर है। ‘धान का भंडार’ कहे जाने वाले इस जिले में धान उत्पादन के लिए मिट्टी और सिंचाई व्यवस्था अत्यधिक अनुकूल है। धान आधारित मिलें, पैकिंग यूनिट, राइस ब्रान ऑयल प्लांट और आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है।

इको-टूरिज्म का विकास समय की जरूरत

भंडारा में पर्यटन की भी प्रचुर संभावनाएँ हैं। वैनगंगा नदी पर जल-पर्यटन को व्यापक स्तर पर विकसित किया जाए तो यह राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान बना सकता है। सातपुड़ा के जंगल, नदी तट, वन्यजीव, पक्षी विविधता और पहाड़ी क्षेत्र मिलकर इको-टूरिज्म को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होगा।

ये भी पढ़े: दिघोरी में कमजोर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ा रहीं परेशानी, ग्रामीण अस्पताल की मांग फिर तेज

जिले की नई पहचान बन सकती है

नदी तटों की रेत से सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है। यदि इस राजस्व का उपयुक्त हिस्सा स्थानीय उद्योग, पर्यटन और आधारभूत सुविधाओं के विकास में निवेश किया जाए, तो भंडारा जिले को नई पहचान मिल सकती है।

कुल मिलाकर, धान, वन, खनिज और पर्यटन  इन चारों क्षेत्रों में भंडारा जिले को विकास की ऊँचाइयों तक ले जाने की अपार क्षमता है। आवश्यकता है केवल सरकारी सक्रियता, निवेश और दूरदर्शी योजना की, ताकि संसाधनों से संपन्न यह जिला तेजी से विकासशील क्षेत्रों की सूची में शामिल हो सके।

Bhandara industrial development potential rice forests manganese

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Published On: Dec 03, 2025 | 07:58 PM

Topics:  

  • Bhandara News
  • Industrial City
  • Maharashtra

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