भंडारा जिला अस्पताल (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara District Hospital Cleanliness System: गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों का अंतिम सहारा माने जाने वाला भंडारा जिला सामान्य अस्पताल इन दिनों खुद बीमार होता नजर आ रहा है।जिस जगह पर मरीजों को जीवनदान मिलना चाहिए, वहीं अब गंदगी, दुर्गंध और लापरवाही का साम्राज्यफैल गया है। अस्पताल की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है और प्रशासनिक उदासीनता के चलते संक्रमण का गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
अस्पताल परिसर में उपयोग किया गया गंदा पानी सीधे नालियों में बहाया जा रहा है, लेकिन अधिकांश नालियां टूटी और खुली हुई हैं। मरीज और परिजन इनमें कचरा फेंक देते हैं, जिससे नालियों से निकलने वाले दूषित कीटाणु आसपास के क्षेत्र को संक्रमित कर रहे हैं।
एनएसवी कक्ष के पास तो हालात इतने खराब हैं कि राहगीरों को नाक पर रुमाल रखकर गुजरना पड़ता है। वहीं प्रतीक्षालय के पास रखी डस्टबिन बीमारी फैलाने का केंद्र बन चुकी है। 13 सितंबर को आवारा कुत्तों ने डस्टबिन गिरा दी और सड़ा-गला कचरा पूरे परिसर में फैल गयालेकिन दोपहर 1 बजे से शाम तक न तो किसी सफाई कर्मचारी ने सफाई की और न ही किसी अधिकारी ने ध्यान दिया।
दोपहिया वाहनों की पार्किंग अब कचरा फेंकने और जलाने की जगह बन चुकी हैवाहन खड़े करने से बचने के चलते नागरिक अब पार्किंग स्थल का उपयोग नहीं कर रहे हैं। बायोमेडिकल वेस्ट भी कई बार खुले में पड़ा पाया गया, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और भी अधिक बढ़ गया है।
भंडारा के अस्पताल का अंदरूनी हाल भी कुछ बेहतर नहीं है। प्रसूति वार्ड क्रमांक 8 के शौचालय और बाथरूमों की हालत बेहद दयनीय हैगंदगी के साथ-साथ शौचालयों में पानी भरा हुआ है, जिससे फिसलन की स्थिति बनी हुई है।
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गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद जोखिम भरा है, क्योंकि फिसलने से गंभीर चोट और गर्भस्थ शिशु को खतरा हो सकता हैसवाल यह है कि जब अस्पताल में पर्याप्त सफाई कर्मचारी उपलब्ध हैं, तो फिर यह लापरवाही क्यों की जा रही हैक्या कोई इन कर्मचारियों की निगरानी नहीं कर रहा।
हाल ही में अस्पताल के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. दीपचंद सोयाम का तबादला हो गया है। उनके स्थान पर डॉसंदीप गजभिये ने पदभार ग्रहण किया है। शहरवासियों और मरीजों को अब उनसे काफी उम्मीदें हैं कि वे इन गंभीर समस्याओं को प्राथमिकता से सुलझाएंगे और अस्पताल की बदहाल सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाएंगे।अब देखना यह है कि डॉगजभिये सुधार की दिशा में कदम उठाते हैं या फिर पूर्ववर्ती अधिकारियों की तरह मौन साधे रहते हैं।