मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार
मुंबई: मराठी भाषा के नाम पर शनिवार को संपन्न हुई राज ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सभा का महायुति सरकार में सांस्कृतिक मामलों के मंत्री एवं मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार ने रविवार को पोस्टमार्टम किया। उन्होंने मराठी के नाम पर महाराष्ट्र में मनसे और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) के नेताओं, कार्यकर्ताओं के हाथों की जा रही हिंदी भाषियों की पिटाई की तुलना पहलगाम में हिंदू पर्यटकों की नृशंस हत्या से करते हुए कहा कि वहां धर्म पूछ कर निर्दोष हिंदुओं की हत्या की गई। यहां भाषा के आधार पर हिंदी भाषियों को पीटा जा रहा है। इसकी वजह से मैं बेहद उद्विग्न हूं।
मराठी का विरोध करनेवालों की पीटो लेकिन वीडियो मत बनाओ, ऐसी राज की सलाह पर शेलार ने कहा कि अंग्रेजों की रणनीति फूट डालो और राज करो की थी, अब कुछ दल डर फैलाकर अपने वोट पाने की रणनीति अपना रहे हैं। इसकी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि किसी को भी नफरत नहीं फैलानी चाहिए। महाराष्ट्र में कानूनी रूप से रहने वाले किसी भी व्यक्ति को डरने की कोई वजह नहीं है। मराठी लोगों की पहचान, भाषा और संस्कृति की चिंता भाजपा ने ही की है और भाजपा ऐसा करती रहेगी। लेकिन किसी गैर मराठी व्यक्ति को भी मराठी व्यक्ति से डरना नहीं चाहिए। कहीं भी डरने की कोई वजह नहीं है।
उद्धव-राज के साथ आने पर खुशी हुई
राज और उद्धव के भाषण पर तंज कसते हुए मंत्री शेलार ने कहा कि दो भाई एक साथ आए, यह बहुत अच्छा है। हमें खुशी है कि दो परिवार एक साथ आए, क्योंकि हिंदू जीवन पद्धति और हिंदू व्यवस्था में परिवार का बहुत महत्व है और हमारी विचारधारा इसी पर विश्वास करती है। लेकिन दोनों भाइयों के भाषण की बात करें तो एक का भाषण अधूरा था और दूसरे का भाषण अप्रासंगिक था। इस तरह से इनका पूरा कार्यक्रम अवास्तविक था। उन्होंने आगे कहा कि जिनके पास बात करने के लिए मुद्दे नहीं हैं वे अनर्गल बातें करते हैं। जिनके पास प्रभावी प्रस्तुति नहीं है और जिन्हें लगता है कि वे लोगों के सामने अपना पक्ष नहीं रख पाएंगे, वे सामाजिक और सांप्रदायिक विद्वेष के पक्ष में भूमिका व्यक्त करते हैं।
त्रिभाषा सूत्र पर खींचे कान
शेलार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से तीसरी भाषा के रूम में हिंदी पढ़ाए जाने का विरोध करनेवाले राज और उद्धव ठाकरे को आडे हाथों लेते हुए कहा कि देश के 22 राज्यों के 60 फीसदी स्कूलों में त्रिभाषा सूत्र को स्वीकार कर लिया गया है। यहां तक कि जहां राज-उद्धव के बच्चे पढ़ते थे, उस स्कूल का नाम ‘बॉम्बे स्कॉटिश’ है। लेकिन इन्होंने कभी उस स्कूल का नाम मुंबई करने की मांग नहीं की।वहां शुरुआत से तीन भाषा पढ़ाई जाती है। मराठी तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। लेकिन इनके बच्चों पर तीन भाषाओं का बोझ नहीं बढ़ा। इनके बच्चे तीन भाषा सीख कर देश के अन्य बच्चों के बराबर रहें। जबकि राज्य के अन्य बच्चे पिछड़ जाएं। ऐसी इन दो भाइयों की सोच है।