
पालक मंत्री ने रखी बोधिभूमि विपश्यना केंद्र की आधारशिला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Amravati Vipassana Center : “इक्कीसवीं सदी भारत की सदी है। ऐसे युवाओं का निर्माण आवश्यक है जो विश्व को दिशा दे सकें। 2047 के विकसित भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सुसंस्कृत पीढ़ी का निर्माण आवश्यक है। विपश्यना केंद्र के माध्यम से इस कार्य को गति मिलेगी।” यह उद्गार अमरावती जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने व्यक्त किए। वे सृजनशील शैक्षणिक, सामाजिक व सांस्कृतिक सेवा मंडल द्वारा कोंडेश्वर रोड पर निर्मित होने वाले ‘बोधिभूमि संस्कार केंद्र’ के शिलान्यास अवसर पर बोल रहे थे।
इस अवसर पर विधायक रवि राणा, केवलराम काले, जिलाधिकारी आशीष येरेकर, कमलताई गवई, कीर्ति गवई, रविराज देशमुख आदि उपस्थित थे। बावनकुले ने कहा कि अगली पीढ़ी के निर्माण के लिए संस्कार केंद्रों की स्थापना अत्यावश्यक है। संस्कारों के माध्यम से प्रखर व्यक्तित्व और सशक्त पीढ़ी का निर्माण होता है। इसलिए केंद्र का स्वरूप आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिसर के रूप में होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि तथागत गौतम बुद्ध की शिक्षाएं आज भी विश्व को मार्गदर्शन दे रही हैं। राज्य सरकार इन शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। कोंडेश्वर स्थित केंद्र को उच्च गुणवत्ता वाला बनाने का प्रयास किया जाएगा। यहां विपश्यना केंद्र के साथ-साथ गौतम बुद्ध और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाएँ, एक छात्रावास और पुस्तकालय भी निर्मित किया जाएगा। केंद्र के विकास के लिए एक समग्र योजना तैयार की जाएगी, जिसमें आवश्यक सुविधाओं को शामिल किया जाएगा।

बावनकुले ने आगे कहा कि इर्विन चौक में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा के समीप एक स्मारक निर्माण का भी प्रस्ताव है, जिसके लिए बजट में आवश्यक निधि प्रदान की जाएगी। इस अवसर पर विधायक रवि राणा ने सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा के पूजन से हुई। तत्पश्चात बावनकुले ने विपश्यना केंद्र की आधारशिला रखी।
संस्था की अध्यक्ष कलावती भटकर, कोषाध्यक्ष अन्नपूर्णा दामले, सचिव अश्विनी भटकर, तथा वैदर्भी मेश्राम सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नागरिकों का सम्मान भी किया गया।
अमरावती जिले में धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन विकास को नई दिशा देने के उद्देश्य से कोंडेश्वर के प्राकृतिक क्षेत्र में 10 एकड़ भूमि पर भव्य बोधिभूमि आध्यात्मिक-सांस्कृतिक संकुल विकसित किया जा रहा है।
यह प्रकल्प न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक उन्नति को बल देगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगा। संकुल में छात्रों और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक व शैक्षणिक अनुभव की समृद्ध सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
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