
कपास और सोयाबीन की तबाह फसलें (सौ. सोशल मीडिया )
Amravati News In Hindi: जिले में इस वर्ष के खरीफ मौसम में अतिवृष्टि (अधिक वर्षा) के कारण कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है। खेतों में तैयार खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, जिससे किसान पूरी तरह टूट चुके हैं।
उत्पादन में भारी गिरावट आई है। सोयाबीन की प्रति एकड़ पैदावार केवल डेढ़ से दो क्विंटल और कपास की एक से दो क्विंटल ही रह गई है। इस अभूतपूर्व संकट ने किसानों की कमर तोड़ दी है, और उनके सामने अब जिएं तो कैसे? जैसा सवाल खड़ा हो गया है।
सरकार द्वारा घोषित फसल नुकसान भरपाई का वितरण दिवाली से पहले शुरू हुआ, लेकिन दिवाली बीत जाने के बावजूद कई छोटे किसानों के खातों में राशि जमा नहीं हुई। नतीजतन, उनकी दिवाली अंधेरे में गुजरी। कई किसानों ने सोयाबीन बाजार में बेच भी दी, लेकिन सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद केंद्र अब तक शुरू नहीं हो पाए। अगर खरीद केंद्र समय पर शुरु हुए होते, तो किसानों को कुछ राहत मिल सकती थी। अब किसान रबी सीजन में उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद कुछ नुकसान की भरपाई हो सके।
इस खरीफ सीजन में जिले में कुल 6 लाख 56 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई, जिसमें से 4 लाख 55 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन और 1 लाख 97 हजार हेक्टेयर में कपास की खेती की गई। मगर अतिवृष्टि ने इन दोनों प्रमुख फसलों की उपज पर भारी असर डाला है।
सोयाबीन को 1700 रुपये कम दाम किसान अभी तक अतिवृष्टि के सदमे से उबर नहीं पाए थे कि अब उन्हें बाजार समितियों में व्यापारियों की मनमानी झेलनी पड़ रही है। सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 5 हजार 200 प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि बाजार समितियों में व्यापारी 3 हजार 500 से 3 हजार 560 प्रति क्विंटल की दर से ही खरीद रहे हैं।
कपास का सरकारी भाव 8 हजार 100 प्रति क्विंटल तय है, मगर तहसीलस्तर पर खरीद केंद्र शुरू न होने से किसान मजबूर होकर निजी व्यापारियों को मात्र 7 हजार 100 में कपास बेच रहे हैं। किसानों का कहना है कि “सफेद सोना” कहलाने वाला कपास अब घाटे का सौदा बन चुका है।
जिले की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी में किसानों के लिए न तो शौचालय हैं, न बैठने की व्यवस्था। ऊपर से सरकारी दर से कम भाव में माल बिक रहा है। किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन के कुछ अधिकारी व कर्मचारी व्यापारियों से मिलीभगत कर मनमानी कर रहे हैं, जिससे मंडी की आमदनी नहीं बढ़ रही, बल्कि कुछ लोगों की जेबें भर रही हैं।
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कपास की प्रति एकड़ लागत के लिए कुल मिलाकर 26 हजार 800 रुपए का खर्च आता है। इसी तरह सोयाबीन के प्रति एकड के लिए 17 हजार 700 रुपए आता है। कुल मिलाकर किसान बढ़ते खर्च, कम पैदावार और सरकारी लापरवाही के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अब किसानों की उम्मीदें सिर्फ रबी सीजन पर टिकी हैं।






