
नल में नहीं लगे मीटर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
 
    
 
    
Akola Water Meter Issue: अकोला महापालिका क्षेत्र में 70 हजार से अधिक अधिकृत नल कनेक्शन धारक हैं, लेकिन इनमें से केवल 42 हजार नलों पर ही मीटर लगाए गए हैं। यानी आज भी हजारों नागरिकों ने अपने नलों पर मीटर नहीं लगाए हैं। अकोला मनपा क्षेत्र में लगभग पौने दो लाख संपत्तियां हैं, जिनमें सरकारी कार्यालय और वाणिज्यिक संकुल भी शामिल हैं।
वर्ष 2016 से नलों पर मीटर लगाने की मुहिम शुरू की गई थी, लेकिन नौ साल बीत जाने के बावजूद लगभग 75 प्रश नलधारकों ने मीटर नहीं लगाए हैं। जिन नलधारकों ने मीटर नहीं लगाए हैं, उनसे प्रति माह 300 रुपये की दर से जल कर वसूला जाता है, जबकि मीटर लगे नलों से केवल 120 रुपये मासिक शुल्क लिया जाता है। इसके बावजूद हजारों नागरिकों ने मीटर नहीं लगाए और न ही जल कर का भुगतान किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बड़ी संख्या में नागरिकों ने जलकर का भुगतान नहीं किया है।
मनपा को हर वर्ष जलापूर्ति योजना के संचालन पर करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन जलकर की वसूली बहुत कम होती है। इसके पीछे अवैध नलधारकों की बड़ी संख्या और बकाया भुगतान न करने वालों पर कार्रवाई की कमी है। न तो दंडात्मक कार्रवाई की जाती है और न ही नल कनेक्शन काटे जाते हैं। इस लापरवाही के कारण मनपा के लिए जलापूर्ति योजना का संचालन करना दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है।
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मनपा ने सन 2016-17 में प्रॉपर्टी पर जीआईएस प्रणाली द्वारा सर्वेक्षण कर के संपत्ति कर बहुत अधिक बढ़ाया है। इस तरह का आरोप लगाते हुए इस निर्णय के विरोध में तत्काली कांग्रेसी पार्षद डा।जीशान हुसैन ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक याचिका दाखिल की थी, फिलहाल यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में न्याय प्रवीष्ट है। इस विषय पर गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी, इसके लिए अकोला मनपा के आयुक्त तथा प्रशासक डा।सुनील लहाने दिल्ली गये थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी कारणवश यह सुनवाई आज नहीं हो सकी है।






