अजय चौधरी व शंभूराज देसाई (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महायुति सरकार में शिंदे गुट को कम महत्व दिए जाने की चर्चाओं के बीच मंगलवार को शिवसेना के मंत्री व विधायक तब हैरान रह गए जब शिवसेना (यूबीटी) के विधायक अजय चौधरी विपक्ष के नेता के लिए आरक्षित आसन पर विराजमान दिखे। फडणवीस सरकार में विधानसभा अध्यक्ष व भाजपाई नेता राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को विश्वास में लिए बिना अजय चौधरी को विपक्ष का नेता तो नहीं बना दिया?
ये सोच कर शिवसेना शिंदे गुट के नेता व मंत्री शंभूराज देसाई ने अपनी दुविधा के निराकरण के लिए विधानसभा अध्यक्ष से इस बारे में सीधे सवाल पूछ लिया। हालांकि बाद में मुद्दा हास्य विनोद पर समाप्त हो गया।
2024 विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) के 20, कांग्रेस के 16 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के 10 विधायक चुनाव जीते थे। जबकि समाजवादी पार्टी के दो विधायकों को जोड़ दें तो पूरे विपक्ष के विधायकों की संख्या 50 के आसपास ही पहुंच पाती है। इस वजह से विपक्ष की किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास अपने दम पर विपक्ष के नेता पद पर दावा ठोकने के लिए जरूरी 10 फीसदी यानी 29 विधायकों का संख्या बल नहीं है।
इसके बावजूद विपक्ष की सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी के रूप में शिवसेना (यूबीटी) ने विपक्ष के नेता पद पर दावा ठोकते हुए अपने विधायक भास्कर जाधव को विपक्ष का नेता बनाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र बजट सत्र की शुरुआत में दिया था।
बताया जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल शिवसेना (यूबीटी) से सुनील प्रभू को विपक्ष का नेता बनाने को तैयार हैं लेकिन भास्कर जाधव को नहीं। इस वजह से विपक्ष के नेता पर अभी तक फैसला नहीं हो सका है और बजट सत्र विपक्ष के नेता के बगैर ही समाप्त की ओर बढ़ने लगा है। इसी बीच मंगलवार को सत्र की शुरुआत में विपक्ष के नेता के आसन पर अजय चौधरी को देखकर मंत्री देसाई चौंक गए।
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विपक्ष के नेता की कुर्सी पर अजय चौधरी के बैठने पर मंत्री देसाई ने सवाल पूछते हुए कहा कि यदि चौधरी की नियुक्ति की गई होगी तो हमें उनका सम्मान करना होगा। इस पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने याद दिलाया कि उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अजित पवार जिस कुर्सी पर बैठे हैं वो भी उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए आरक्षित है। इसलिए इसे गंभीरता से न लें।
तो वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने याद दिलाया कि कल ही डीसीएम शिंदे ने कहा था, हम लोग कुर्सी बदलते रहते हैं। इससे सदन ठहाकों से गूंज उठा।