MP का सिंगरौली घोटालों का गढ़, बर्तन के बाद मुआवजे में बंदरबाट, जानें पूरा मामला
भोपाल: मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला नित नए घोटालों के चलते लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। दो माह पहले यहां आंगनवाड़ी में बर्तन खरीदी में करोड़ों का घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में अभी कार्रवाई भी पूरी नहीं हुई कि अब कोल ब्लाक में भूमि मुआवजा का बड़ा घोटला सामने आया। इसका जिला कलेक्टर ने ही खुलासा करते हुए जांच शुरू कर दी है।
सिंगरौली जिले की आंगनवाड़ियों में बर्तन खरीद को लेकर सामने आए घोटाले की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। आंगनवाड़ियों के लिए बर्तन न तो सिंगरौली, न भोपाल और न ही आस-पास के किसी जिले से खरीदे गए बल्कि छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से खरीदे गए।
अधिकारियों ने खुले बाजार से उचित कीमत पर खरीदारी करने के बजाय गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पोर्टल के जरिए कई गुना अधिक दामों पर यह सौदा किया। बर्तनों का टेंडर छत्तीसगढ़ की ‘जय माता दी कॉरपोरेशन’ को दिया गया जिससे इस खरीद पर कई सवाल उठे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब स्थानीय बाजारों में ये बर्तन कम कीमत पर उपलब्ध थे तो अधिकारियों ने इतनी महंगी दरों पर खरीद क्यों की? करीब 5 करोड़ रुपये के इस घोटाले को लेकर कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने सवाल उठाया था।
अब सिंगरौली में कोल ब्लॉक आवंटन के बाद मुआवजे का खेल शुरू हो गया है। जेपी कंपनी को कोल ब्लॉक मिलने के बाद कुछ लोग नकली घर बनाकर सरकार से मुआवजा वसूलने की कोशिश कर रहे हैं। प्रशासन ने यहां जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है लेकिन मुआवजा रैकेट फिर भी सक्रिय है। सिंगरौली कलेक्टर खाली जमीन पर घर का वीडियो देखकर हैरान रह गए।
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उन्होंने तुरंत पटवारी को निलंबित करने का आदेश दिया। साथ ही एक टीम तैयार कर ड्रोन से सर्वे का काम शुरू कराया। सिंगरौली जिले के पचौर, कुंडा, मझौली और बंधा गांवों में जेपी कंपनी को कोल ब्लॉक आवंटित हुआ है। इसके बाद मुआवजा वितरण प्रक्रिया शुरू हुई है।