टाटा मोटर्स आरोग्य मिशन (pic credit; social media)
Tata Motors Arogya Mission: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अवसर पर टाटा मोटर्स ने अपने प्रमुख सामुदायिक स्वास्थ्य पहल ‘आरोग्य कार्यक्रम’ के जरिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी का दावा है कि इस पहल ने वित्त वर्ष 2024-25 में देशभर में 6.66 लाख से अधिक लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
आरोग्य कार्यक्रम का मकसद बच्चों में कुपोषण दूर करना, महिलाओं और किशोरियों में स्वास्थ्य एवं पोषण जागरूकता बढ़ाना और समुदायों को निवारक व उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। नतीजे चौंकाने वाले हैं—कुपोषित बच्चों में 87% रिकवरी दर्ज की गई, जबकि महिलाओं में एनीमिया के मामलों में 80% की कमी आई है।
टाटा मोटर्स ने खासतौर पर मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र की झुग्गी बस्तियों में प्रोजेक्ट आरोग्य चलाया। यहां बच्चों में गंभीर कुपोषण के मामलों में 90% तक की उल्लेखनीय कमी दर्ज हुई। यह आंकड़ा बताता है कि कंपनी का सामुदायिक स्वास्थ्य मॉडल लंबे समय तक असर छोड़ रहा है।
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सिर्फ यही नहीं, वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने गुजरात के सानंद में प्रोजेक्ट एड्रेसिंग मालन्यूट्रिशन की शुरुआत की। इस पहल के तहत 506 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को विशेष देखभाल दी गई और 88% रिकवरी दर दर्ज की गई।
टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड विनोद कुलकर्णी ने कहा- “टाटा मोटर्स में हम मानते हैं कि पोषण ही स्वास्थ्य और जीवन की मजबूती की बुनियाद है। आरोग्य कार्यक्रम के जरिए हम बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य सुधार के लिए सामुदायिक-आधारित मॉडल अपनाते हैं, जिससे समाज का दीर्घकालिक कल्याण संभव हो पाता है।”
टाटा मोटर्स का यह मिशन न केवल कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) का उदाहरण है, बल्कि यह साबित करता है कि जब बड़ी कंपनियां सामाजिक बदलाव को लेकर गंभीर होती हैं, तो इसके परिणाम समाज को नई दिशा दे सकते हैं। टाटा मोटर्स के आरोग्य कार्यक्रम ने 6.66 लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाई। बच्चों में 87% कुपोषण पर काबू और महिलाओं में 80% एनीमिया की कमी दर्ज, समाज पर गहरा असर छोड़ रही पहल।