सिंधिया, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ (फोटो-सोशल मीडिया)
MP Politics: मध्य प्रदेश में एक लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी। ऐसी चर्चा थी कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर कमलनाथ के हाथों में सरकार की कमान सौंपी थी। इसी के चलते गाहे-बेगाहे अंदरूनी कलह की खबरें आती थीं, हालांकि डेढ़ साल बाद कांग्रेस की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गिराकर अंदरूनी कलह को खत्म कर दिया। आरोप लगा कि पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की वजह से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई।
वहीं अब 5 साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने खुद को निर्दोष बताते हुए सरकार गिरने का असली कारण बताया है। साथ ही सिंधिया की बगावत की वजह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को बताया है। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं में छोटी-छोटी असहमतिया थीं। अगर कमलनाथ चाहते तो सरकार नहीं गिरती।
एमपी तक से बातचीत दिग्विजय सिंह ने बताया कि कमलनाथ के कारण सिंधिया समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। दोनों नेताओं में कोई वैचारिक मतभेद नहीं था। यहां इगो क्लैश का मामला था। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन सरकार गिरने का दोषी मुझे बनाया गया।
कांग्रेस नेता ने बताया कि सरकार गिरने से पहले एक बिजनेसमैन के घर पर डिनर पार्टी रखी गई थी। उन्होंने बिजनेसमैन का नाम न लेते हुए बताया कि जिस बिजनेसमैन के घर पर डिनर पार्टी थी उनसे सिंधिया और कमलनाथ के अच्छे संबंध थे। इस पार्टी में दोनों नेताओं के बीच एक समझौता हुआ था। जिसमें गुना चंबल संभाग के लिए सिंधिया ने कुछ छोटी-मोटी मांगे रखी थी। कमलनाथ ने बिजनेसमैन के सामने सिंधिया की मांगो को स्वीकार कर लिया था। लेकिन बाद में मुकर गए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह
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इसके आगे दिग्विजय सिंह ने बताया कि मैं बिजनेसमैन के घर गया था। मैंने उनसे कहा था कि आपके दोनों से अच्छे संबंध हैं। दोनों की लड़ाई में हमारी सरकार गिर जाएगी। आप जरा संभालिए। इसके बाद ही डिनर पार्टी रखी गई थी। उन्होंने बताया कि मेरे तमाम प्रयासों के बाद भी सरकार बच नहीं पाई। हालांकि प्रचारित किया गया कि सिंधिया और मेरे विवाद के कारण सरकार गिरी। उन्होंने कहा कि मेरा दुर्भाग्य है कि हमेशा मुझ पर वो दोष लगेगा, जिसका दोषी मैं नहीं हूं।
वहीं जब दिग्विजय सिंह से पूछा गया कि कौन-कौन सी मांगे सिंधिया द्वारा की गई थी तो इस पर उन्होंने कोई खास मांग नहीं थी। छोटी-मोटी राजनीतिक बातें थीं। ये हुआ था कि ग्वालियर-चंबल संभाग में जैसा हम कहेंगे वैसा कर दें। हम दोनों ने दूसरे दिन एक लिस्ट दी थी। लिस्ट पर मेरे भी हस्ताक्षर थे, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ।