महिलाओं की सेहत का ख्याल जरुरी (सौ.सोशल मीडिया)
International Women’s Day 2025: हर साल की तरह इस साल भी महिलाओं को समर्पित दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने वाला है। इस मौके पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते है तो महिलाओं के संघर्ष को याद किया जाता है। महिलाओं वर्किंग हो या फिर हाउस वाइफ उनकी जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती है। कई महिलाएं वर्किंग होकर भी घर चलाती है तो कई महिलाएं अगर घर में मौजूद ना हो तो शायद ही घर का कोई काम पूरा हो पाएं।
इन जिम्मेदारियों के साथ ही महिलाएं अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती है और कई प्रकार की बीमारियां उन्हें घेर लेती है, चलिए जानते हैं ऐसी कौन सी बीमारियां है जिसे महिलाओं को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
महिलाओं को अपने शरीर पर प्रभाव डालने वाली इन बीमारियों के खतरे से बचना चाहिए भूलकर भी नजर अंदाज नहीं करें तो अच्छा है…
हर लड़कियों और महिलाओं में हर महीने आने वाले मासिक धर्म या पीरियड्स की समस्या होती है जो बिल्कुल नेचुरल इससे छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है। वैसे तो मासिक धर्म की अवधि 21 से 35 दिनों की होती है लेकिन कई बार दो महीने में भी पीरियड्स नहीं आते है और जब आते है तो काफी तकलीफ होती है। ब्लड फ्लो हाई होने और अक्सर पेट में क्रैम्प्स और कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव होता है। यहां पर मासिक धर्म की कई प्रकार की समस्याएं आपकी सेहत पर असर डालते है।
यह भी महिलाओं और लड़कियों में होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है इससे दुनिया भर में लगभग 5 से 10 प्रतिशत महिलाएं पीसीओडी से प्रभावित हैं। दरअसल पीसीओडी की समस्या महिलाओं में एक हार्मोनल समस्या होती है। जो मुख्य रूप से 12 से 45 साल की आयु की महिलाओं को प्रभावित करता है। भारत में भी इसके मामले बढ़ने लगे हैं। इस प्रकार की समसया रहे तो आपके पीरियड्स अनियमित हो जाते है कई बार गर्भधारण करने की क्षमता पर बहुत असर पड़ता है। समय पर अगर पीसीओडी का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह डायबिटीज, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी कई अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
महिलाओं में होने वाली यह बीमारी भी खतरनाक है यह एक तरह से जीवाणु संक्रमण होता है जो महिलाओं में यूटीआई किडनी, ब्लैडर, यूरेटर और यूरेथ्रा सहित यूरिनरी सिस्टम के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी का इलाज संभंव है जिसके बारे में आपको जानना चाहिए। सही इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लेना और सही दवा लेना जरूरी है।
महिलाओं की सेहत का ख्याल
महिलाओं के बीच इस प्रकार की बीमारियां देखने के लिए मिलती है इसमें ही कई गंभीर मातृत्व समस्याओं के कारण अपनी जान गंवा देती हैं, जिनका इलाज नहीं हो पाता है। दरअसल इस प्रकार की बीमारियां मुख्य रूप से देश के ग्रामीण इलाकों में सामने आती हैं। जहां पर समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।
यह तो घर हो या फिर ऑफिस हर जगह होता है जो पुरुष और महिलाएं दोनों को प्रभावित करता है।यह आपके डेली रूटीन और प्रोडक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है।गर्भावस्था के बाद अवसाद भी भारत में एक आम समस्या है. ये मानसिक समस्याएं कई अन्य हेल्थ कंडिशन जैसे अनिद्रा, आत्महत्या की प्रवृत्ति, भूख न लगना और कई अन्य को जन्म दे सकती हैं।