सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन हिन्दू धर्म में ‘गायत्री मंत्र’ (Gayatri Mantra) को बहुत शक्तिशाली मंत्र बताया गया है। अन्य कई मंत्रों से ज्यादा प्रभावशाली माना गया है। मन को शांति एवं तनाव को दूर करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है। ‘गायत्री मंत्र’ ही चारों वेदों का मुख्य सार तत्व माना जाता है। ‘गायत्री मंत्र’ से ही इनकी उत्पत्ति हुई है, इसलिए ‘गायत्री माता’ को ‘वेद माता’ कहते हैं। त्रिदेव जिनकी उपासना करते हैं, जिनका ध्यान करते हैं, वह ‘गायत्री माता’ देव माता है।
इस मंत्र का जाप करने के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी इस मंत्र का जाप एक समय और नियम के अनुसार किया जाए तो यह एक ऐसा मंत्र है जिसमें हर समस्या का निदान छुपा हुआ है। तो आइए जानें गायत्री मंत्र जाप का सही समय, अर्थ और फायदे-
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘गायत्री मंत्र’ का जाप प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू करना चाहिए। ‘गायत्री मंत्र’ का जप दोपहर के समय भी किया जा सकता है।
संध्या के समय ‘गायत्री मंत्र’ का जाप सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप आरंभ कर देना चाहिए और सूर्यास्त के कुछ समय बाद तक जप करना चाहिए।
कहते हैं कि, विद्यार्थियों के लिए ‘गायत्री मंत्र’ का जाप बहुत फायदेमंद होता है। इस मंत्र के जाप से मन एकाग्र होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है। जो लोग शिक्षा में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
जिन विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति कमजोर होती है, उनको ‘गायत्री मंत्र’ का नियमित जाप एक माला करनी चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, ‘गायत्री मंत्र’ के नियमित जप से कई तरह की व्याधियों से राहत मिलती है। इसका जाप करने से चेहरे पर चमक आती है और शरीर निरोगी बनता है। इस मंत्र के जाप से नेत्रों में तेजी आती है।
यदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक क्रोध आता है, तो ‘गायत्री मंत्र’ का जाप बहुत लाभदायक रहता है। इस मंत्र के जाप से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति का क्रोध धीरे धीरे शांत होने लगता है।