राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (सौ. फ्रीपिक)
Public Health And Pollution: हर साल 2 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे का उद्देश्य प्रदूषण के बढ़ते खतरे और उससे होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि साफ हवा, साफ पानी और स्वच्छ पर्यावरण हमारे लिए कितना जरूरी है। बढ़ते उद्योग, वाहन धुआं, कचरे का गलत प्रबंधन और रासायनिक उत्सर्जन पर्यावरण के साथ-साथ हमारे शरीर पर भी गंभीर प्रभाव डालते हैं।
2 दिसंबर 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी की याद में प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। उस दौरान हजारों लोगों ने जहरीली गैस के कारण अपनी जान गंवा दी थी। इस दिन को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि प्रदूषण के खतरे के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके।
मध्य प्रदेश में 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल शहर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इस जहरीली गैस के कारण हजारों लोगों की जान चली गई और बहुत से लोगों शारीरिक और मानसिक रुप से विकलांगता का शिकार हुए। इस त्रासदी से देश ही नहीं बल्कि दुनिया को औद्योगिक सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण के महत्व का अहसास हुआ।
यही वजह है कि यह दिन पर्यावरणीय प्रदूषण से होने वाले खतरों की और लोगों का ध्यान खींचता है और इसके समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करता है। तेजी से बढ़ता शहरीकरण, औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि आदि प्रदूषण को गंभीर बना रहे हैं। जिसकी वजह से वायु, जल, भूमि और ध्वनि प्रदूषण की समस्या प्रकृति के संतुलन को प्रभावित कर रही है।
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अपने राष्ट्र को प्रदूषण से बचाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव के जरिए ही हम प्रदूषण को कम करने में योगदान दे सकते हैं। जिससे एक स्वच्छ और हरा भरा पर्यावरण बनाने की दिशा आगे बढ़ सके।