
विश्व एड्स दिवस ( सौ.सोशल मीडिया)
World AIDS Day 2025: दुनियाभर में बीमारियों का जाल फैला हुआ है। कई बीमारियों का इलाज तो संभंव हो रहा है लेकिन कुछ बीमारियां अब भी लाइलाज है। बस दवाईयों के सहारे मरीजों को आश्वासन दे रही है पर जड़ से खत्म करने का कोई रास्ता नहीं। दुनियाभर में आज 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस ( World Aids Day 2025) मनाया जा रहा है। यह दिन एड्स की बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने और बीमारी में नए इलाज और तकनीक से जुड़ी है।
इस एड्स की बीमारी को लेकर लोगों के मन में जो भी शंका है या मिथक इन्हे तोड़ने का प्रयास मात्र विश्व एड्स दिवस है। जानिए अगर एड्स की बीमारी लाइलाज है तो अब तक ऐसी कोई वैक्सीन क्यों नहीं बन पाई जो एड्स को मिटा सकें। क्या एआरटी के जरिए ही इलाज होगा।
कब से हुई विश्व एड्स दिवस की शुरुआत
विश्व एड्स दिवस हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत 01 दिसंबर, 1988 को की गई। उस समय अनुमान के मुताबिक करीब 90,000 से 1,50,000 व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव थे। इस वजह से ग्लोबल लेवल पर इस दिन को मनाने की पहल हुई।1996 तक WHO ने विश्व एड्स दिवस को लेकर सालाना कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया. उसके बाद संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएन एड्स ने इन जिम्मेदारियों को अपने हाथों में ले लिया।हर साल इस दिन यूनाइटेड नेशंस की एजेंसियां, सरकारें और लोग एचआईवी से जुड़ी खास थीम पर अभियान चलाने के लिए साथ जुड़ते हैं और लोगों को इस बीमारी के लिए जागरुक करते हैं। इस साल 2025 की थीम ‘पुनर्विचार करें। पुनर्निर्माण करें। उठ खड़े हों।’
एड्स बीमारी को लेकर बात करें तो, इसका पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome- AIDS ) है। दरअसल यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। यहां पर एचआईवी (Human Immunodeficiency Viruses) की वजह से यह बीमारी व्यक्ति में फैलती है।एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो सीधे व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है और उसे बेहद कमजोर बना देता है. एचआईवी से पीड़ित मरीज के शरीर में तेजी से व्हाइट ब्लड सेल्स कम होना शुरू हो जाते हैं और उसका शरीर अन्य बीमारियों से बचाव नहीं कर पाता है।
एड्स बीमारी का इलाज (सौ.सोशल मीडिया)
यहां पर एड्स बीमारी के लक्षण सामान्यत: नजर आते है जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है।
एड्स की बीमारी एचआईवी वायरस के फैलने से होती है। शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए वैसे तो कई दवाई आ गई है। यह दवाईयां शरीर में एचआईवी वायरस के अमाउंट को नियंत्रित कर सकती हैं। इस खास इलाज को ART कहा जाता है। जिसके जरिए करीब छह माह के अंदर एचआईवी वायरस काबू में आ जाते हैं. समय रहते अगर एड्स के मरीजों को सही दवाएं दी जाएं, तो उनकी उम्र को बढ़ाया जा सकता है।
एड्स बीमारी के वैक्सीन निर्माण को लेकर दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजित कुमार ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि, एचआईवी वायरस बहुत अलग प्रकार का वायरस है, इसकी बनावट में लगातार परिवर्तन होते रहते हैं। यह वायरस इम्यून सिस्टम को धोखा आसानी से दे देता है, एचआईवी वायरस की म्यूटेशन भी अन्य किसी भी वायरस की तुलना में बहुत अधिक है, इस वजह से एचआईवी के खिलाफ वैक्सीन नहीं बन पाती है। इसके पीछे का कारण यह भी बताया गया कि, एचआईवी वायरस के खिलाफ अगर कोई वैक्सीन बने तो क्या वह इम्यून सिस्टम को एक्टिव कर पाएगी।
वैक्सीन के सफल होने को लेकर कम उम्मीद नजर आती है लेकिन वैक्सीन निर्माण का प्रोजेक्ट जारी है। वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं आशा है कि एड्स के लिए वैक्सीन नामक तोड़ निकल पाएं।
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जानिए एड्स बीमारी से बचाव के उपाय
आप एड्स बीमारी को लेकर बचाव के उपाय खोज सकते है जो बेहद आसान है और इनका पालन करना चाहिए…






