मामी को ‘मामा’ कैसे भूल गए (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, कुछ लोग भुलक्कड़ होते हैं तो किसी की मेमोरी रेजर शार्प होती है।उम्र के साथ कुछ लोगों की स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है।ऐसे व्यक्ति घड़ी, चश्मा, मोबाइल, पर्स, पेन कहीं भी रखकर भूल जाते हैं।स्मृतिभ्रंश या अल्जाइमर हो जाने पर बहुत बुरी हालत होती है।ऐसा व्यक्ति जब भटक जाता है तो उसे अपने शहर, घर, रिश्तेदारों के नाम भी याद नहीं आते.’ हमने कहा, ‘आज आप भुलक्कड़ों की बात क्यों कर रहे हैं? क्या आप कहना चाहते हैं कि नेता सत्ता पाने के बाद अपना चुनावी वादा भूल जाते हैं?’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आपने खबर पढ़ी होगी कि पूरे मध्यप्रदेश में ‘मामा’ कहलानेवाले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराजसिंह चौहान ‘मामी’ को भूलकर काफिले सहित राजकोट के लिए रवाना हो गए थे।वो तो अच्छा हुआ कि 1 किलोमीटर आगे जाने पर उन्हें अचानक याद आई कि वह अपनी पत्नी साधना सिंह को अकेला छोड़ आए हैं।उन्होंने तुरंत 22 गाड़ियों का काफिला लौटाया और पत्नी से उनका पुनर्मिलन हुआ।यह अनोखा मामला है जिसमें हड़बड़ी की वजह से नेता बीवी को भी भूल जाता है.’ हमने कहा, ‘इसीलिए कुछ नेता अपनी पत्नी को साथ नहीं रखते।क्या आपने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को कभी अपनी पत्नी सीतादेवी के साथ देखा? क्या पूर्व पीएम चंद्रशेखर कभी अपनी वाइफ के साथ नजर आए?’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, क्या नेता बनने से व्यक्ति धर्मपत्नी तक को भूल जाता है? पति-पत्नी का 7 जन्मों का साथ होता है।राजनीतिक गठबंधन के पहले वैवाहिक गठबंधन का ध्यान रखना चाहिए।पुरानी फिल्मों में हीरोइन गाती थी- भुला नहीं देना जी, भुला नहीं देना, जमाना खराब है भुला नहीं देना! जब वह विरह वेदना में रहती थी तो गाती थी- छोड़ गए बालम, मुझे हाय अकेला छोड़ गए! जब हीरोइन को शंका होती थी कि हीरो उसे भूलकर कहीं चल देगा तो गाने लगती थी- सैंयाजी बहियां छुड़ा के नहीं जाना रे!’ हमने कहा, ‘भूलने की आशंका से बचने के लिए हीरो-हीरोइन एक साथ गाते थे- इन रस्मों को, इन कसमों को, इन रिश्ते-नातों को मैं ना भूलूंगा- मैं ना भूलूंगी!’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, हिंदी में पत्नी को जीवन संगिनी और उर्दू में शरीक-ए-हयात कहते हैं।जिंदगी में कभी कभी भूल-चूक हो जाती है लेकिन उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ने में ही समझदारी है.’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा