शिबू सोरेन का निधन
Shibu Soren Passes Away: झारखंड की राजनीति के मजबूत स्तंभ शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। ‘दिशोम गुरु’ के नाम से पहचाने जाने वाले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनके जाने से न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर है।
दरअसल, शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष, संवेदनशीलता और सामाजिक बदलाव की मिसाल रहा है। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ के नेमरा गांव में हुआ था। बचपन में घटी एक छोटी सी घटना ने उनके जीवन का मार्ग तय कर दिया। नौ साल की उम्र में, दशहरे के दिन उनके पिता मोर का पंख निकाल रहे थे, तभी पालतू चिड़िया ‘भेंगराज’ की मौत हो गई।
हालांकि, शिबू उसके निधन से इतने आहत हुए कि उन्होंने चिड़िया का अंतिम संस्कार किया और उसी दिन से मांसाहार छोड़कर जीवनभर के लिए शाकाहारी और अहिंसा के मार्ग पर चल पड़े। 1957 में उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या ने उनके भीतर के समाजसेवी और क्रांतिकारी को जगा दिया। सोबरन मांझी आदिवासियों को महाजनों के शोषण के खिलाफ जागरूक करते थे। उनके पिता की मौत के बाद शिबू ने पढ़ाई छोड़ दी और फॉरवर्ड ब्लॉक नेता लाल केदार नाथ सिन्हा के साथ मिलकर अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
1960 के दशक में उन्होंने ‘धनकटनी आंदोलन’ की शुरुआत की, जिसमें आदिवासियों को महाजनों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए वह गांव-गांव बाइक से घूमे और लोगों को उनके हक और अधिकारों के लिए जागरूक किया। यह आंदोलन इतना व्यापक हुआ कि संथाल समुदाय ने उन्हें ‘दिशोम गुरु’ यानी दस दिशाओं का गुरु कहकर सम्मानित किया।
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शिबू सोरेन ने न केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को खड़ा किया बल्कि राज्य के आदिवासी समुदाय की आवाज को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं।
आपको बता दें, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हुआ और लंबी बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। इस दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन लगातार उनके पास मौजूद रहे।