
किश्तवाड़ रतले हाइड्रो प्रोजेक्ट, फोटो- सोशल मीडिया
Ratle Hydroelectric Project: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में निर्माणाधीन रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक के 850 मेगावाट वाले प्रोजेक्ट की सुरक्षा को लेकर स्थानीय पुलिस ने निर्माण कंपनी MEIL को आगाह किया है। जांच में पता चला है कि प्रोजेक्ट में कार्यरत कई कर्मचारी सक्रिय आतंकियों के रिश्तेदार हैं, जो इस रणनीतिक परियोजना के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।
किश्तवाड़ के एसएसपी नरेश सिंह ने निर्माण कार्य देख रही कंपनी ‘मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड’ (MEIL) को पत्र लिखकर सूचित किया है कि प्रोजेक्ट के 29 कर्मचारियों के आतंकी संबंध या आपराधिक रिकॉर्ड हैं। पुलिस वेरिफिकेशन के अनुसार, इनमें से 5 कर्मचारी सक्रिय या सरेंडर कर चुके आतंकियों के करीबी रिश्तेदार हैं।
इनमें से एक कर्मचारी का सगा चाचा हिज्बुल मुजाहिदीन का सक्रिय आतंकी मोहम्मद अमीन उर्फ जहांगीर सरूरी है। इसी प्रोजेक्ट में काम करने वाले दो अन्य कर्मी भी सरूरी के भाई और चचेरे भाई बताए जा रहे हैं। इसके अलावा, कुछ कर्मियों के पिता पुलिस रिकॉर्ड में ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) के रूप में दर्ज हैं, जबकि शेष 24 कर्मचारियों पर विभिन्न आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसएसपी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि हाइड्रो प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील होते हैं और अक्सर दुश्मन देशों के निशाने पर रहते हैं। पुलिस ने कंपनी को सुझाव दिया है कि ऐसे दागी पृष्ठभूमि वाले लोगों की नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाए और उनकी गतिविधियों की निरंतर निगरानी की जाए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की स्थिति में तुरंत पुलिस को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस खुलासे के बाद राजनीतिक विवाद भी गरमा गया है। भाजपा विधायक शगुन परिहार ने इन कर्मचारियों को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है और कंपनी पर स्थानीय मजदूरों की जगह ‘दागी’ लोगों को रखने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, MEIL के जॉइंट चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हरपाल सिंह ने पत्र मिलने की पुष्टि की है, लेकिन कहा है कि इन कर्मियों को हटाना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वे स्वयं किसी मामले में दोषी साबित नहीं हुए हैं। कंपनी ने उल्टा विधायक पर प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप करने और अपनी पसंद के लोगों को नौकरी दिलाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है।
चिनाब नदी पर बन रहा यह प्रोजेक्ट NHPCL और जम्मू-कश्मीर सरकार का एक संयुक्त उपक्रम है, जिसकी अनुमानित लागत 3700 करोड़ रुपये है। सुरक्षा चिंताओं और आपसी विवादों के कारण इस महत्वपूर्ण परियोजना की प्रगति प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है।
जम्मू-कश्मीर में 850 मेगावाट की रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। खासतौर पर पिछले साल किश्तवाड़ जिले के द्राबशल्ला इलाके में डायवर्सन सुरंगों के जरिए चिनाब नदी का बहाव मोड़ना भारत के लिए एक अहम तकनीकी उपलब्धि माना गया। नदी का रुख बदलने से बांध स्थल को अलग करना संभव हुआ, जिससे निर्माण और खुदाई से जुड़ी प्रमुख गतिविधियों को गति मिली।
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हालांकि पाकिस्तान ने परियोजना के स्पिलवे की ऊंचाई और ड्रॉडाउन स्तर को लेकर डिजाइन संबंधी आपत्तियां उठाई हैं, इसके बावजूद भारत अब बांध निर्माण को आगे बढ़ाने की स्थिति में है। केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2021 में इस परियोजना को 5,282 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी थी।
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि से जुड़े मामलों पर आखिरी वार्षिक बातचीत पिछले साल जून में हुई थी, जब पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भारत आया और किश्तवाड़ में विभिन्न बांध स्थलों का दौरा किया। पाकिस्तान ने किशनगंगा, रतले और पाकल दुल परियोजनाओं को लेकर संधि उल्लंघन का आरोप लगाया है। हालांकि 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि अब व्यवहारिक रूप से अप्रासंगिक होती नजर आ रही है।






