जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फोटो- सोशल मीडिया)
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार की उस योजना को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें सिंधु प्रणाली की पश्चिमी नदियों के अतिरिक्त जल को जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान भेजने के लिए नहर बनाने की बात की गई थी। उमर ने साफ कहा कि यह पानी अभी सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए है, क्योंकि जब हमें जरूरत थी तब किसी ने हमारी मदद नहीं की थी।
पठानकोट स्थित शाहपुर कंडी बैराज के लंबे विवाद का हवाला देते हुए उमर ने पंजाब को याद दिलाया कि 45 वर्षों तक इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर को नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा, “कई सालों तक उन्होंने हमें रुलाया, अब जब हमारे पास थोड़ा अतिरिक्त पानी है, तो हम क्यों दें?” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 113 किमी लंबी प्रस्तावित नहर को फिलहाल उनकी सरकार मंजूरी नहीं देगी।
सिंधु जल संधि और ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ
हाल ही में केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को रोकने और भारत के भीतर उपयोग की दिशा में कदम बढ़ाया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सिंधु जल संधि के प्रभावी निलंबन के बाद भारत सरकार इस अतिरिक्त जल का उपयोग उत्तर भारत के राज्यों में करना चाहती है। लेकिन उमर अब्दुल्ला के बयान ने इस रणनीति पर सवाल खड़ा कर दिया है।
अकाली दल ने जताई आपत्ति, बताया पंजाब के साथ अन्याय
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पंजाब हमेशा जल वितरण में सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाला राज्य रहा है। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी के दौर में राजस्थान को पंजाब का पानी दिया गया और अब जब पंजाब संकट में है, तो जम्मू-कश्मीर को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि पंजाब को न्याय दिलाने के लिए स्पष्ट नीति अपनाई जाए।
बता दें शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “मुझे पंजाब को पानी क्यों भेजना चाहिए? मैं ऐसा कभी नहीं होने दूंगा। पहले हम अपना पानी इस्तेमाल करेंगे। जम्मू में सूखे जैसी स्थिति है, पंजाब के पास सिंधु जल संधि के तहत पहले से ही पानी है, क्या उन्होंने हमें तब पानी दिया जब हमें इसकी जरूरत थी?”