केसी वेणुगोपाल ने पीएम मोदी को लिखकर केरल की नर्स को बचाने की अपील की (फोटो- सोशल मीडिया)
केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। इसको लेकर देशभर में चिंता और अपीलों का सिलसिला तेज हो गया है। अब इस पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। वेणुगोपाल ने इसे न्याय की हत्या बताया और कहा कि निमिषा विदेशी धरती पर अत्याचार और घरेलू हिंसा का शिकार बनीं, लेकिन अब उन्हें मौत की सजा दी जा रही है। यह मानवीयता के खिलाफ है।
वेणुगोपाल ने अपने पत्र में कहा कि युद्धग्रस्त यमन में चल रही अस्थिरता के कारण ‘रक्त-धन’ (दियाह) की बातचीत मुश्किल हो गई है, जो निमिषा की जान बचाने का एकमात्र उपाय हो सकता है। कांग्रेस महासचिव ने प्रधानमंत्री से मांग की कि इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाए और हरसंभव कूटनीतिक प्रयास किए जाएं। इससे पहले राज्यसभा सांसद पी. संदोष कुमार ने भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर मानवीय दायरे में तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
The death sentence against Nimisha Priya is a grave travesty of justice. She is a victim of unimaginable cruelty and domestic abuse on foreign soil, driven to the brink.
She doesn’t deserve to die.
I’ve written to the PM seeking urgent intervention to prevent her execution. pic.twitter.com/PI18YZZGCY
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) July 12, 2025
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों की अपील
केसी वेणुगोपाल ने अपने एक्स पोस्ट के माध्यम से यह मुद्दा उठाया और कहा कि निमिषा प्रिया को मिलने वाली फांसी न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि मानवीय मूल्यों के भी खिलाफ है। उन्होंने लिखा, वह घरेलू हिंसा और क्रूरता का शिकार हैं, उन्हें मौत की सजा देना न्याय का उपहास है। वेणुगोपाल ने अपने पत्र में बताया कि यमन में चल रही अशांति के चलते दियाह प्रक्रिया मुश्किल हो गई है और भारत सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
क्या है निमिषा प्रिया का मामला
केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 2020 में उन्हें दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उनकी अपील खारिज कर दी। फिलहाल वे सना सेंट्रल जेल में बंद हैं। अब 16 जुलाई को उन्हें फांसी दी जानी है। इस सजा के खिलाफ भारत में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर जोरदार हस्तक्षेप की मांग उठ रही है।
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निमिषा प्रिया का मामला एक संवेदनशील मानवाधिकार संकट बन गया है, जिसमें भारत सरकार की कूटनीतिक सक्रियता ही उनकी जान बचा सकती है। अब देश की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय पर है कि वे कैसे इस मुश्किल परिस्थिति में भारतीय बेटी को बचाने का रास्ता निकालते हैं।