केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान (फोटो- सोशल मीडिया)
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्ती से लेकर अप्रूवल तक, हर जगह रिश्वत का खेल चल रहा है और यही अफसर बाद में जेल भी जाते हैं। गडकरी ने सत्ता, संपत्ति, ज्ञान और सौंदर्य के कारण उत्पन्न होने वाले अहंकार पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में अपनाई गई सादगी और सिद्धांतों की राजनीति का उदाहरण देते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया।
गडकरी ने कहा कि उन्होंने अपने तीसरे लोकसभा चुनाव में न कोई बैनर लगाया, न प्रचार में भोजन कराया और न ही किसी जातीय समीकरण को छुआ। उनका सीधा संदेश था जिसने वोट देना है दे, नहीं देना तो मत दो। इस दौरान उन्होंने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें मालूम है अफसर पहले रिश्वत मांगते हैं और फिर बाद में उन्हीं पर कार्रवाई होती है। यह भ्रष्टाचार का एक घिनौना चक्र बन चुका है।
शिक्षा विभाग में करप्शन पर सीधा प्रहार
नितिन गडकरी ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और स्कूलों को मिलने वाले अप्रूवल में पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगी जाती है और वही अफसर कुछ समय बाद जेल में नजर आते हैं। गडकरी ने यह भी कहा कि जनता सब जानती है और अब बदलाव की जरूरत है। उनकी यह टिप्पणी उन तमाम लोगों के लिए चेतावनी थी जो व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं।
अहंकार पर सीख और जिम्मेदारी का संदेश
कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने जीवन के चार प्रमुख तत्वों सत्ता, संपत्ति, ज्ञान और सौंदर्य पर बात करते हुए कहा कि जब ये किसी को मिलते हैं तो व्यक्ति अहंकारी हो जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग खुद को सबसे ऊपर समझने लगते हैं और यही पतन की शुरुआत होती है। अफसरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “जब नौकरी मिली है तो तुम्हारी परीक्षा है। गधे को घोड़ा बनाना है, यह साबित करो।”
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नागपुर में दिया गया नितिन गडकरी का यह भाषण केवल एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं बल्कि प्रशासन और समाज के लिए एक सीधा संदेश था। शिक्षा जैसी संवेदनशील व्यवस्था में भ्रष्टाचार पर की गई उनकी टिप्पणी से जाहिर होता है कि वे बदलाव के पक्षधर हैं और बेबाक बोलने से पीछे नहीं हटते।