
दिल्ली में केशव प्रसाद मौर्य ने की जेपी नड्डा से मुलाकात (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने दिल्ली तलब किया। इस दौरान यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी भी दिल्ली में मौजूद रहे। जिसके बाद प्रदेश की सियासत में दिलचस्पी लेने वाले हर शख्स की जुबां पर सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिर केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली क्यों बुलाया गया? क्या उनकी जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं? या फिर उन्हें नसीहत देने के लिए तलब किया गया है?
मंगलवार को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे। जिसके बाद यह सवाल उठे कि केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली क्यों बुलाया गया, जबकि दो दिन पहले ही लखनऊ में जेपी नड्डा, भूपेन्द्र चौधरी, योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश कार्यसमिति के हजारों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा था। यहां शीर्ष नेताओं की आपस में बात-मुलाकात भी हुई थी। लेकिन इस मुलाकात की पटकथा भी यहीं लिख दी गई थी।
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14 जुलाई को लखनऊ के लोहिया सभागार में हुई बीजेपी प्रदेश कार्यसमित की बैठक में बोलते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जो दर्द आपका है वही दर्द हमारा भी है। यहां उन्होंने एक बात और कही जिसने सीएम योगी आदित्यनाथ और केपी मौर्य के बीच चल रही तनातनी की बातों को तूल दे दिया। डिप्टी सीएम ने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा है। जिसके बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा होने लगी कि केशव प्रसाद मौर्य और सीएम योगी के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
मंगलवार को जेपी नड्डा ने केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली बुलाया। यहां दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। इस दौरान यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी भी पहुंचे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नड्डा ने केशव प्रसाद मौर्य को नसीहत देने के लिए तलब किया था। इस मीटिंग में नड्डा ने यूपी के डिप्टी सीएम को संयम बरतने की सलाह दी है। नड्डा ने केशव को समझाते हुए कहा कि वह सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयानों से बचें जो पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इस बीच प्रदेश के राजनीतिक गलियारों मे शोर मचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यह मुलाकात सीएम योगी के लिए ख़तरे की घंटी हो! कहीं ऐसा तो नहीं कि योगी आदित्यनाथ को कुर्सी से हटाकर केशव प्रसाद मौर्य को सीएम बनाने की बात चल रही हो जिससे ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में किया जा सके! इस पर राजनीतिक पंडितों का मानें तो ऐसा नहीं होने वाला है। क्योंकि सीएम योगी पार्टी का एक पापुलर चेहरा हैं। इसके अलावा वो सवर्ण समुदाय से आते हैं जिसे बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। ऐसे में भाजपा परंपरागत वोटबैंक को नाराज नही करेगी।






