SIR से पहले बंगाल में अफरा-तफरी (फाइल फोटो)
West Bengal SIR: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीश्न ने राज्य में वोटर लिस्ट के रिवीजन को लेकर राज्य के निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा था। लेकिन पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल जिलों-मुर्शिबाद और मालदा में पिछले कुछ दिनों से लोगों के बीच इतनी अफरा-तफरी क्यों मची हुई है।
आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं होते। लोगों को इस बात का डर है कि बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंशिव रिविजन के बाद अगर एनआरसी शुरू किया ता है तो बर्थ सर्टिफिकेट से ही तय होगा कि कोई व्यक्ति भारतीय है या नहीं।
बड़ी संख्या में लोग स्टांप पेपर लेकर नगर पालिका, ग्राम पंचायत और कोर्ट में लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं ताकि उनके जन्म प्रमाणपत्र में जो खामियां हैं उनमें सुधार हो, उनका डिजिटाइजेशन किया जा सके या फिर उन्हें नए प्रमाण पत्र जारी हों। हालांकि, ममता बनर्जी सरकार ने SIR को लेकर सवाल खड़े किए हैं और जन्म प्रमाणपत्र को लेकर गाइडलाइंस भी जारी की हैं।
राज्य सरकार लोगों को बर्थ सर्टिफिकेट हासिल करने में पूरी मदद कर रही है और इसके लिए सरकार ने तमाम जरूरी इंतजाम किए हैं। बहरामपुर के नगर पालिका अध्यक्ष नारूगोपाल मुखर्जी ने कहा कि पिछले 10 दिनों से यहां अफरा-तफरी का माहौल है। पहले हमें जन्म प्रमाण पत्रों के डिजिटलीकरण या सुधार के लिए हर दिन 10-12 आवेदन मिलते थे; अब यह संख्या 500-600 हो गई है। लोग सुबह 7 बजे से ही यहां खड़े हैं।
मुर्शिदाबाद के लालगोला से टीएमसी विधायक मोहम्मद अली का कहना है कि कोई भी राजनीतिक दल SIR के खिलाफ नहीं है। बंगाल में 2002 में ऐसा हुआ था लेकिन पिछले दरवाजे से एनआरसी लाने की साजिश चल रही है। इसीलिए लोग पंचायत कार्यालयों, नगर पालिकाओं और अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, बहरामपुर लोकसभा के पूर्व सांसद और नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इससे दो पार्टियों को फायदा हो रहा है- ममता बनर्जी की टीएमसी और भाजपा।
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अफरा-तफरी के माहौल के बीच बिचौलिये भी सक्रिय हो गए हैं। प्रमाण पत्र के डिजिटाइजेशन और छोटे सुधारों के लिए 1,000 से 2,000 रुपये मांगे जा रहे हैं। आवेदनों की प्रोसेसिंग फीस में काफी अंतर है। बहरामपुर नगरपालिका में यह 50 रुपये है जबकि मुर्शिदाबाद में 100 रुपये।